अल्मोड़ा: इतिहास के काले अध्याय में दर्ज है सल्ट का कफल्टा कांड
बृजेश तिवारी, अमृत विचार। भिकियासैंण तहसील में दलित नेता के प्रेम विवाह करने पर उसके अपहरण के बाद हत्या का मामला सामने आने के बाद एक बार फिर कफल्टा कांड के काले अध्याय का वह पन्ना फिर जहन में आ गया। जब वहां चौदह दलित बारातियों को कमरे में बंद कर जलाने और मारपीट कर …
बृजेश तिवारी, अमृत विचार। भिकियासैंण तहसील में दलित नेता के प्रेम विवाह करने पर उसके अपहरण के बाद हत्या का मामला सामने आने के बाद एक बार फिर कफल्टा कांड के काले अध्याय का वह पन्ना फिर जहन में आ गया। जब वहां चौदह दलित बारातियों को कमरे में बंद कर जलाने और मारपीट कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया था। इस घटना से तब पूरा देश दहल गया था और तत्कालीन गृहमंत्री ज्ञानी जैल सिंह को हालात का जायजा लेने सल्ट आना पड़ा था।
सल्ट विकास खंड का नौ मई 1980 का दिन इतिहास के उन काले पन्नों में दर्ज है। जो एक जघन्य नरसंहार के लिए जाना जाता है। इस दिन विकास खंड के बिरलगांव निवासी दलित परिवार के श्याम प्रसाद नाम के युवक का विवाह था। बारात पीपना गांव जानी थी। लेकिन जैसे ही बारात पीपना से पहले कफल्टा गांव के पास पहुंची तो गांव की महिलाओं ने रास्ते में मंदिर होने के कारण दुल्हन को पालकी से उतरने को कहा।
लेकिन महिलाओं के आग्रह के बाद भी दूल्हा पालकी से नहीं उतरा। जिसके बाद गांव के एक फौजी खीमानंद ने गुस्से में आकर दूल्हे की पालकी को नीचे गिरा दिया। इस हरकत पर दलितों ने एक होकर फौजी की पीट पीटकर मार डाला। खीमानंद की हत्या से गांव के सवर्णों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उन्होंने बारातियों की पिटाई शुरू कर दी। जान बचाने के लिए बाराती कफल्टा में रहने वाले दलित नरी राम के घर में छिप गए और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया।
इस पर गुस्साए सवर्णों ने घर पर आग लगा दी। जिसके बाद छह बाराती आग में जलकर जिंदा भस्म हो गए और किसी तरह खिडक़ी से भाग कर अपनी जान बचाने की कोशिश करने वाले आठ बारातियों को गांव वालों ने पीट पीटकर मार डाला। दूल्हा श्याम प्रसाद और कुछ बाराती बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाने में कामयाब हो पाए।
कफल्टा में हुए इस नरसंहार में बाराती सारी राम, मोहन राम, बची राम, माधो राम, राम किशन, झुस राम, प्रेम राम, रामप्रसाद, गोपाल राम, बन राम, बिर राम, गुसाईं राम, मोहन राम, भैरव प्रसाद को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। इस घटना के बाद जहां पूरा देश दहल गया था। वहीं सालों तक इस मामले में न्यायालय में मुकदमे चलते रहे। करीब सोलह साल बाद वर्ष 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सोलह आरोपियों को सजा सुनाई। लेकिन इन सोलह सजा पाने वाले लोगों में से कई तब तक मर चुके थे। जबकि अन्य को जेल भेजा गया।
अनुसूचित जाति के अध्यक्ष आज परिजनों से मिलेंगे
अल्मोड़ा। भिकियासैंण तहसील में दलित युवक की प्रेम विवाह करने पर हत्या के मामले ने तूल पकड़ लिया है। उपपा जहां इस मामले को लेकर हमलावर हो गई है। वहीं उत्तराखंड अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष मुकेश कुमार शनिवार को जनपद के भ्रमण पर आ रहे हैं। वह सुबह दस बजे पनुवाद्योखन पहुंचेंगे और मृतक दलित नेता जगदीश के परिजनों से मुलाकात करेंगे।
