देहरादून: लेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 के विरोध में 23 नवंबर को दिल्ली में एकजुट होंगे बिजली कर्मचारी
देहरादून, अमृत विचार। इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 और निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारी 23 नवंबर को दिल्ली में एकजुट होंगे। इस दौरान कर्मचारियों की ओर से विरोध में प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें उत्तराखंड के कर्मचारी भी शामिल होंगे। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन की श्रीनगर में आयोजित फेडरल एग्जीक्यूटिव मीटिंग में यह निर्णय लिया …
देहरादून, अमृत विचार। इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 और निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारी 23 नवंबर को दिल्ली में एकजुट होंगे। इस दौरान कर्मचारियों की ओर से विरोध में प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें उत्तराखंड के कर्मचारी भी शामिल होंगे। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन की श्रीनगर में आयोजित फेडरल एग्जीक्यूटिव मीटिंग में यह निर्णय लिया गया है।
मीटिंग में तय किया गया कि देशभर के पावर इंजीनियर 23 नवंबर को दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे। इस दौरान कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की ओर से इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 पारित किए जाने पर देशभर में बिजली कर्मचारी और इंजीनियर के द्वारा हड़ताल पर जाने की चेतावनी भी दी है।
मीटिंग में तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, जम्मू कश्मीर, दामोदर वैली कॉरपोरेशन के लगभग 50 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे, सचिव पी रत्नाकर राव, चीफ पैट्रन पद्मजीत सिंह, पैट्रन के अशोक राव और पीएन सिंह के अलावा विभिन्न प्रांतों के बिजली इंजीनियर संघों के अध्यक्ष व सचिव शामिल हुए।
23 नवंबर की रैली से पहले देश के पूर्वी, दक्षिणी, पश्चिमी और उत्तरी हिस्सों से चार बिजली क्रांति यात्राएं शुरू की जाएंगी। इसके बाद 23 नवंबर को दिल्ली में विशाल प्रदर्शन किया जाएगा। बिजली क्रांति यात्राओं के जरिये बिजली कर्मचारियों और आम बिजली उपभोक्ताओं को लाम बंद कर व्यापक जन जागरण अभियान चलाया जाएगा।
फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 के जरिए केंद्र सरकार पूरे पावर सेक्टर का निजीकरण करने जा रही है। निजी कंपनियों को सरकारी डिसकाम के नेटवर्क का इस्तेमाल कर बिजली आपूर्ति करने का अधिकार दिया जाएगा। निजी कंपनियां मुनाफा कमाने के लिए आएंगी और सरकारी कंपनी का नेटवर्क इस्तेमाल कर केवल मुनाफे वाले क्षेत्र जैसे इंडस्ट्रियल और कॉमर्शियल उपभोक्ताओं को ही बिजली देकर मुनाफा कमाएंगी। सरकारी कंपनियों के पास केवल घाटे वाले गरीब घरेलू उपभोक्ता और किसान ही बचेंगे। इसके बाद सरकारी कंपनियां कंगाल हो जाएंगी और फिर केंद्र सरकार इनका पूरा नेटवर्क निजी कंपनियों को कौड़ियों के भाव बेच देगी।
