हमीरपुर: अंतरराष्ट्रीय ठगी गैंग के तीन आरोपी दबोचे गए, 15 करोड़ रुपए से अधिक की साइबर ठगी को दिया है अंजाम

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हमीरपुर, अमृत विचार । सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले अंतरराष्ट्रीय गैंग का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। गिरफ्तार तीन आरोपी मुरादाबाद, चंदौली व हरदोई निवासी हैं। इन ठगों ने 15 करोड़ रुपए से अधिक की साइबर ठगी की है। पुलिस अधीक्षक शुभम पटेल ने बताया कि पिछले गुरुवार थाना मौदहा के …

हमीरपुर, अमृत विचार । सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले अंतरराष्ट्रीय गैंग का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। गिरफ्तार तीन आरोपी मुरादाबाद, चंदौली व हरदोई निवासी हैं। इन ठगों ने 15 करोड़ रुपए से अधिक की साइबर ठगी की है।
पुलिस अधीक्षक शुभम पटेल ने बताया कि पिछले गुरुवार थाना मौदहा के मदारपुर गांव निवासी शहबाज खान को फॉरेस्ट विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर आरोपी इंतजार खान निवासी मधिया थाना मुगलसराय जनपद चंदौली व उसके गैंग ने 2,94,300 रुपए की साइबर ठगी करने से संबंधित प्रार्थना पत्र थाना मौदहा में देकर मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में उन्होंने टीमों का गठन कर घटना के शीघ्र अनावरण के निर्देश दिए।

उन्होंने बताया थाना मौदहा व साइबर क्राइम ने ये संयुक्त कार्रवाई की। जिसमे ग्राम नरायच के पास हाईवे से आरोपी अंकित त्रिपाठी ग्राम लच्छीपुर थाना मल्लावां जनपद हरदोई, सूरज कुमार ग्राम हरथला काठ रोड़ सोनकपुर थाना सिविल लाइन जनपद मुरादाबाद व इंतजार खान निवासी ग्राम मधिया थाना मुगलसराय जनपद चंदौली को गिरफ्तार किया।

पुलिस टीम ने विवेचना में पाया गया कि अंकित त्रिपाठी, सूरज कुमार व इंतजार खान के अलावा इनके गैंग में अनिकेत उर्फ अमित, अनुराग त्रिपाठी व अभिषेक पांडेय भी शामिल हैं। एसपी ने बताया कि गैंग के सदस्य एफसीआई में सुपरवाइजर, लेबर, रेलवे में टीसी, वन विभाग में माली, इनकम टैक्स में टैक्स असिस्टेंट, चपरासी व हास्पिटल में कंप्यूटर आपरेटर, स्टाफ नर्स, बैंक में कंप्यूटर आपरेटर, ब्लाक में डीपीएम की सरकारी नौकरी देने का फर्जी कार्य करते थे। गैंग के सदस्य उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों से सरकारी नौकरी देने के लिए बेरोजगारों को फंसाते थे। इसके लिए उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो, शैक्षणिक प्रमाण पत्र की फोटो कापी के साथ प्रत्येक पद के लिए निर्धारित शुल्क लेते थे।

बताया सुपरवाइजर के लिए तीन लाख, लेबर के लिए 50 हजार, रेलवे में टीसी के लिए नौ लाख, इनकम टैक्स असिस्टेंट के लिए नौ लाख, चपरासी के लिए तीन लाख रुपये निर्धारित शुल्क था। गैंग के सदस्य मिलकर कार्य करते थे। बेरोजगार अभ्यर्थी को बुलाकर सर्वप्रथम संबंधित विभाग से फर्जी ज्वानिंग लेटर दिया जाता था। उसके उपरांत उन्हें ट्रेनिंग के लिए बुलाया जाता था। अनिकेत द्वारा कानपुर में एफसीआई नौबस्ता, घंटाघर, रेलवे स्टेशन कानपुर, गुजैनी पौधशाला, इनकम टैक्स ऑफिस में फर्जी ढंग से ट्रेनिंग दी जाती थी। सूरज द्वारा फर्जी ज्वानिंग लेटर, आई कार्ड, कंपनी के लोगों व डिजिटल हस्ताक्षर, फर्जी आधार कार्ड बनाते थे। इसमें करोड़ों की ठगी की गई है। बताया कि सूरज के बैंक स्टेटमेंट के आधार पर पाया गया कि 10 करोड़ 30 लाख रुपये व अंकित के बैंक स्टेटमेंट से चार करोड़ 75 लाख रुपये का साइबर फ्रॉड संबंधी ट्रांजेक्शन हुआ है। इस धन से अवैध संपत्ति अर्जित कर ऐशो-आराम में रहते है।

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