रुद्रपुर: तीन दिन की बारिश से 40 फीसदी धान की फसल हुई बर्बाद, किसानों को सताने लगी चिंता
रुद्रपुर, अमृत विचार। पिछले तीन दिन से हो रही बारिश ने तराई के किसानों को संकट में डाल दिया है। लगातार हुई बारिश से जहां किसानों की धान की फस ल बर्बाद हो गया। यदि बारिश समय रहते नहीं रुकी तो फसल पूरी चौपट हो सकती है। ऐसे में जहां किसानों को आर्थिक संकट का …
रुद्रपुर, अमृत विचार। पिछले तीन दिन से हो रही बारिश ने तराई के किसानों को संकट में डाल दिया है। लगातार हुई बारिश से जहां किसानों की धान की फस ल बर्बाद हो गया। यदि बारिश समय रहते नहीं रुकी तो फसल पूरी चौपट हो सकती है। ऐसे में जहां किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, लोगों को भी महंगाई की मार झेलनी पड़ सकती है।
बताते चलें कि शुक्रवार से बेमौसमी बारिश के चलते तराई के किसानों को संकट में डाल दिया है। तीन दिन से लगातार बारिश होने के कारण किसानों को लगभग 40 फीसदी फसल पानी में डूब गई है, जिससे धान की फसल खराब हो चुकी है। बावजूद इसके यदि लगातार बारिश आगे भी होते हैं तो धान की फसल पूरी तरह से चौपट हो जाएगी।
किसानों का मानना है कि वर्ष 2021 में प्राकृतिक आपदा से गेहू की फसल में भी बर्बाद हो चुकी थी। अभी किसान इससे उभर नहीं पाया था कि तीन दिन से हो रही बारिश से धान की फसल बर्बाद हो चुकी है। जिसके चलते आगे बोने वाली गेंहू की दोबारा फसल पर भी दुष्प्रभाव पडे़गा। किसानों का मानना है कि धान की फसल खराब होने से जहां किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होगा।
मौसमी फसलों पर भी पड़ा मौसम का असर
रुद्रपुर। तीन दिन से लगातार हो रही बारिश के कारण जहां धान की फसल बर्बादी के कगार पर खड़ी है। वहीं, मौसमी फसल पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। किसानों का मानना है कि अक्टूबर माह के शुरूआत होते ही धान की फसल की कटाई प्रारंभ हो जाती है। जिसके बाद किसान शीतकालीन मौसम से संबंधी आलू, मटर, लाई व गन्न जैसी फसलों को बोता है। लेकिन, इस बार बारिश ज्यादा होने से धान की कटाई के बाद खेतों में पानी भरा होने से सब्जियां नहीं बोई जा सकती है, जिससे इस बार लोगों को मौसमी सब्जियां मुहैया होना मुश्किल हो सकता है।
किसान नेताओं ने सरकार से मुआवजा देने की उठाई मांग
रुद्रपुर। बारिश के कारण बर्बाद हुई फसल को मुआयजा देने के लिए किसा न नेताओं ने आवाज उठानी शुरू कर दी गई। तराई किसान संगठन के कें द्रीय अध्यक्ष तजिंदर सिंह विर्क ने कहा कि वर्ष 2021 में गेंहू की फसल भी जलप्रलय में बर्बाद हो चुकी थी। इस साल भी भारी बारिश के कारण किसानों को धान की फसल का नुकसान झेलना पड़ रहा है। जिसमें सरकार की लापरवाही भी सामने आई है। बताया कि अक्टूबर माह से सरकारी राइस मिलर्स द्वारा धान नहीं खरीदा गया। सात दिनों से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी खरीद शुरू नहीं हुई। जिसकी वजह से किसानों ने धान की फसल देरी से काटी। ऐसे में किसानों को संगठित कर सरकार से सर्वे के आधार पर नहीं, बल्कि प्रति एकड एकमुश्त किश्त के हिसाब से आर्थि क मुआयजा देने की मांग उठाई जाएंगी।
फोटो परिचय-09आरडीपी06पी-तराई किसान संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष तजिंदर सिंह विर्क।
तीन दिन की बारिश से 14 एकड़ की धान की फसल 40 फीसदी बर्बाद हो चुकी है। यदि बारिश बदं नहीं हुई तो फसल पूरी तरह से चौपट हो चुकी जाएगी। बताया कि उनकी मलसी, मलसा, भमरौला के समीप अलग-अलग टुकड़ों में जमीन है। जिसके नजदीक एक नहर बहती है। मगर बारिश के कारण नहर का पानी भी खेतों में आ गया है, जिससे फसल पानी में डूब गई।
अमनदीप ढिल्लो,किसान
बगवाड़ा के किसान ने बताया कि उसकी पत्नी व खुद की लगभग 56 हेक्टेयर के करीब जमीन है। बारिश के कारण 35से 40 फीसदी धान गिर गई है। ऐसे में प्रति एकड़ 15 से 20 हजार रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है। वहीं, यदि बारिश लगातार होती है तो धान चौपट हो जाएगा। क्योंकि धान गिरने के बाद काला पड़ने लगा है।
– विक्रमजीत सिंह विक्की,किसान
