हल्द्वानी: 14 सालों में प्रदेश में 4.66 लाख लोगों को कुत्तों ने काटा 

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Published By Babita Patwal
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हल्द्वानी, अमृत विचार। सूचना का अधिकार में कुत्तों के हमलों के चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं। उत्तराखंड में 14 साल में 4.66 लाख लोगों को कुत्तों ने काटा। वहीं देश में वर्ष 2015 से 2019 तक 591 लोगों की मौत कुत्तों के काटने के बाद रैबीज के कारण हुई।

तल्ली बमौरी निवासी आइटीआई कार्यकर्ता हेम चंद्र कपिल ने सूचना एवं परिवार कल्याण समिति व परिवार कल्याण विभाग उत्तराखंड से वर्ष 2009 से 2022 तक कुत्तों के हमलों की सूचना मांगी थी। जवाब में लोक सूचना अधिकारी ने बताया है कि इस अवधि में राज्य में 4,66,256 लोगों को कुत्तों ने काटा है।

इससे पहले कपिल ने भारत सरकार के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने रेबीज से मौत के मामले पर भी सूचना मांगी थी। जिसमें पता चला है कि देश में वर्ष 2015 से 2019 तक 591 लोगों की मौत कुत्तों के काटने पर रेबीज के चलते हुई है। वर्ष 2019 में आंध्र प्रदेश में 26, कर्नाटक में 33, तमिलनाडु में 23, झारखंड में 13 पश्चिम बंगाल में 14, केरल में आठ लोगों की मौत कुत्तों के काटने से हुई। इसके अलावा कई अन्य राज्यों में कुत्तों के काटने से मौत के मामले सामने आए हैं।

देश में 2015 से 2019 तक मौत के आंकड़े

वर्ष          मौत
2015      113
2016       86
2017      111
2018      110
2019      171

बीते दिनों सरकार द्वारा संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, देश में 1.53 करोड़ आवारा कुत्‍ते हैं। इसमें सबसे अधिक कुत्‍ते उत्‍तर प्रदेश में हैं जिनकी गिनती 20 लाख से अधिक है। इसके बाद राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र और मध्‍य प्रदेश की गिनती आती है। आंकड़ों के अनुसार, मणिपुर, दादर व नगर हवेली और लक्षद्वीप में एक भी कुत्‍ता नहीं है। कुत्‍तों के हमले में हुई मौत पर सरकार भी कोई हर्जाना नहीं देती और घायल का इलाज कराने को लेकर भी कोई नियम नहीं है।

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