मुरादाबाद : नशे के कारोबारियों का तिलिस्म टूटने का नहीं ले रहा नाम, अफसर भी अनजान

अनदेखी : शहर की भातू कालोनी में काला कारोबार वर्षों से आबाद है, सिस्टम की खामोशी से युवाओं का जीवन प्रभावित हो रहा 

मुरादाबाद : नशे के कारोबारियों का तिलिस्म टूटने का नहीं ले रहा नाम, अफसर भी अनजान

मुरादाबाद,अमृत विचार। नशे की राजधानी कही जाने वाली शहर की भातू कालोनी का काला कारोबार वर्षों से आबाद है। चौंकाने वाली बात यह है कि तमाम प्रतिबद्धताओं के बाद भी सिस्टम नशे के तस्करों के आगे बेबस व लाचार है। नशे के कारोबारियों के खिलाफ कथित कार्रवाई के बाद भी उनका तिलिस्म टूटने का नाम नहीं ले रहा। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि शहर के युवाओं का जीवन खामोशी के साथ भातू कालोनी निगल रही है। फिर भी अफसरों की नींद टूटने का नाम नहीं ले रही। 

यह छिपी बात नहीं कि शहर की आदर्श नगर उर्फ भातू कालोनी नशे के तस्करों का बड़ा हब है। बात चाहें नशीले पदार्थों मसलन चरस, अफीम अथवा गांजे की हो या फिर कच्ची दारू की। भातू कालोनी अपने चाहने वालों की हर जरूर पूरी करती है। यही वजह है कि नशेड़ियों के बीच भातू कालोनी की अलग पहचान है। नशेड़ियों को यकीन हो चला है कि उनकी ख्वाहिश पूरी होने की एक मात्र जगह भातू कालोनी है। यही वजह है कि मुरादाबाद ही नहीं बल्कि दूर दराज रहने वाले नशे के कारोबारी अथवा नशेड़ी भातू कालोनी में रहने वालों के संपर्क में होते हैं। दिन छंटने से लेकर पूरी रात तक भातू कालोनी में नशे का अवैध व्यापार होता चला आ रहा है। शहर के बीच नशे के कारोबार पर पूर्णतया रोक लगाने की प्रतिबद्धता प्रशासनिक अमले में कभी नहीं दिखी।

वर्ष 2019-20 में तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक ने नशे के कारोबारियों के खिलाफ अभियान चलाया। नशे के काले कृत्य में लिप्त लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश की। ऐसे लोगों की पुलिस ने कुंडली तैयार की, जो असमय लोगों को मौत के मुंह तक पहुचा रहे हैं। अफसोस कि एसएसपी के स्थानांतरण बाद हालात जस के तस हो गए। नशे का कारोबार पर्दे की आड़ में दोबारा परवान चढ़ गया। उच्च प्रशासनिक अफसरों की नाक के नीचे होने वाले नशे के खेल का कुप्रभाव अब लोगों को जान गंवा कर भुगतना पड़ रहा है। 

भातू कालोनी में छह माह के भीतर मिली चार लाश 
भातू कालोनी के काले कारोबार को यदि गहराई से समझना हो, तो उसके आसपास होने वाली घटनाओं पर नजर रखें। पर्दे के पीछे की तस्वीर आइने की तरह साफ मिलेगी। नशे के कारोबारियों से सिस्टम की सांठगांठ आए दिन होने वाली युवाओं की मौत बेपर्दा करती है। महज एक सप्ताह पूर्व एक युवक का शव फकीरपुरा ओवर ब्रिज के नीचे मिला था। युवक की जेब से नशीले इंजेक्शन मिले। इससे साफ हो गया कि नशे के सेवन के कारण युवक ने दम तोड़ा। हिमगिरी कालोनी निवासी युवक का शव दो माह पहले तहसील के समीप झाड़ियों से पुलिस ने बरामद किया। उसकी जेब से नशीला पदार्थ बरामद हुआ। छह माह में चार लावारिस शव का बोझ ढोने वाली पुलिस को युवाओं की मौत से कतई परहेज नहीं है। तभी नशे के तस्कर मुखबिरों की मदद से आजादी के साथ अपनी दुकान चला रहे हैं। 

पश्चिम यूपी तक में होता है नशे का कारोबार
आदर्श कालोनी उर्फ भातू कालोनी यूं ही नशे की राजधानी नहीं है। यहां गहरी जड़ें जमा चुके नशे के तस्कर अपना काला कारोबार पूरे पश्चिम यूपी में फैला चुके हैं। भातू कालोनी में बैठकर वह अपना नेटवर्क, बरेली, रामपुर, सम्भल, बिजनौर, अमरोहा, मेरठ, हापुड़ व गाजियाबाद तक बिछा चुके हैं। वहां से आने वाली हर डिमांड की पूर्ति वह येनकेन प्रकारेण करते हैं। यूं कहें कि भातू कालोनी में रहने वाले नशे के तस्करों का सिक्का पूरे पश्चिम यूपी में चलता है, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।


पुलिस की दरियादिली का उठाते हैं लाभ 
भातू कालोनी से वर्षों बाद भी नशे का काला कारोबार खत्म नहीं होने के लिए स्थानीय पुलिस जिम्मेदार है। सूत्रों की मानें तो जिन तस्करों का रसूख अपराध व नशे के काले कारोबार में बड़ा माना जाता है, उन्हें छोटा व मामूली अपराधी मानकर पुलिस कोर्ट में पेश करती है। पुलिस के तकनीकी खेल का लाभ उठाकर माफिया कोर्ट से रिहा होने में सफल रहते हैं। छह माह के भीतर पुलिस की कार्रवाई पर नजर डालते ही पर्दे के पीछे की तस्वीर साफ हो जाती है। स्मैक व चरस की तस्करी करने वालों को महज नशे का सेवक बताकर पुलिस दायित्व से किनारा कस लेती है।

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