बरेली: 370 करोड़ रुपये के बकायेदारों के खाते हुए एनपीए घोषित
1593 मामलों को लोक अदालत में सुलझाया गया
बरेली, अमृत विचार। भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक अगर किसी बैंक लोन की किस्त 90 दिनों तक यानी तीन महीने तक नहीं चुकाई जाती है तो उस लोन को एनपीए घोषित कर दिया जाता है। अन्य वित्तीय संस्थाओं के मामले में यह सीमा 120 दिन की होती है। बैंक उसे फंसा हुआ कर्ज मान लेते हैं। एनपीए बढ़ना किसी बैंक की सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता। साथ ही एनपीए कर्ज लेने वाले के लिए भी मुश्किलें खड़ी करता है।
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जिले में सरकारी, अर्द्धसरकारी व निजी बैंकों की लगभग 30 शाखाएं हैं, जिनमें 370.06 करोड़ रुपये के बकायेदारों के खाते एनपीए घोषित हो चुके हैं। वहीं, बैंकों की ओर से जानकारी न देने पर रिकॉर्ड तैयार करने में भी समय लग रहा है। जिसकी वजह से जुलाई-सिंतबर की तिमाही रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकी है। एनपीए को रिकवर करने के लिए बैंक व स्थानीय एलडीएम की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
शिक्षा पर सर्वाधिक ऋण होता एनपीए
सर्वाधिक ऋण बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए लिया जा रहा है। जिसमें से अधिकांश एनपीए होता है। यही कारण है कि आरबीआई की ओर से हुई बैठक में शिक्षा ऋण के आवंटन से पहले काफी छानबीन की जा रही है। वहीं, विभागीय अधिकारियों के अनुसार शिक्षा ऋण, मुद्रा लोन व व्यापार के लोन के लिए अलग-अलग श्रेणी में ऋण की जानकारी बैंकों के पास ही उपलब्ध होती है। जिला अग्रणी बैंक कार्यालय की ओर से इस प्रकार की कोई जानकारी नहीं मांगी जाती है।
1583 मामलों का लोक अदालत में हुआ निस्तारण
सामाजिक छवि धूमिल होने से बचने के लिए कुछ एनपीए के खाताधारकों की ओर से समझौता करने की मंजूरी दी जाती है। जिसमें कुछ विशेष परिस्थितियों में डिफाल्टर लाभार्थी विशेष छूट के तहत लोक अदालत में अधिक से अधिक संख्या में सेटलमेंट कर सकते हैं। इसमें एनपीए खाताधारक को विभिन्न बैंकों द्वारा 25 से 50 प्रतिशत तक लाभ उपलब्ध कराया जाता है। बैंक से जुड़े हजारों एनपीए खाताधारकों को लोक अदालत के माध्यम से ऋण राशि का भुगतान करने के लिए नोटिस दिया जाता है। वहीं, विभागीय अधिकारियों के अनुसार ऐसी सूचनाएं मिल रही हैं कि नोटिस प्राप्त एनपीए खाताधारकों से कतिपय बिचौलिए किस्म के लोग मिलकर बरगलाने या फिर काफी कम राशि पर ऋण मुक्त करा देने का झांसा देकर रुपये की उगाही कर रहे हैं।
सिविल रेटिंग होती है खराब
जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक सुषमा के ने बताया कि अगर कोई कर्ज धारक लगातार तीन महीने तक बैंक की किस्त नहीं चुका पाता है। उस कर्ज धारक के लोन को एनपीए घोषित कर दिया जाता है। इससे कर्ज धारक की सिविल रेटिंग खराब हो जाती है।
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