अयोध्या: लापरवाही से जो सड़ गये उन्हें बदला नहीं, नए कम्पेक्टरबिन कूड़े के ढेर में

अयोध्या: लापरवाही से जो सड़ गये उन्हें बदला नहीं, नए कम्पेक्टरबिन कूड़े के ढेर में

अमृत विचार अयोध्या। स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर को स्वच्छ रखने का दावा तो नगर निगम के अधिकारी करते हैं लेकिन स्वच्छता बनाये रखने को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं है। सफाई व्यवस्था को लेकर प्रदेश में 11वां स्थान प्राप्त करने वाले नगर निगम अयोध्या के कर्मचारियों की लापरवाही का आलम यह है कि यहां दो करोड़ रुपये से अधिक रुपये खर्च कर खरीदे गये सफाई व्यवस्था के उपकरणों की बर्बादी हो रही है। नगर क्षेत्र में लगे पुराने डस्टबिन व कम्पेक्टरबिन सड़ गये हैं, उन्हें बदला नहीं जा रहा है। अब जो नये कम्पेक्टर बिन खरीदे गये हैं वह भी नगर निगम परिसर में कूडे की तरह पड़े सड़ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार जो नये कम्पेक्टरबिन खरीदे गये हैं उनकी गुणवत्ता भी ठीक नहीं है। इसे लेकर नगर आयुक्त ने भी असंतोष जताया है। 

करीब दो साल पहले नगर के विभिन्न मोहल्लों व मार्गों पर स्टील के दो-दो डस्टबिन स्थापित करवाए गए थे। इनमें 90 प्रतिशत से अधिक स्टील के डस्टबिन का अब कोई अता-पता नहीं है। जो बचे हैं वह भी टूटे पड़े हैं। दूसरी बार नगर निगम द्वारा शहर में 200 से अधिक स्थानों पर कूड़ा डालने के लिए नये डस्टबिन व कम्पेक्टर बिन  रखवाए थे। यह भी अब लगभग सड़ गल चुके हैं। इसमें जो भी कूड़ा डाला जाता है वह जमीन पर बिखर जाता है जिससे और गंदगी फैल जाती है। अब एक बार फिर भी 288 नये कम्पेक्टरबिन की आपूर्ति विगत दिनों नगर निगम में हुई है। साफ सफाई व्यवस्था के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत भारत सरकार द्वारा नगर निगम को 5 करोड़ 25 लाख 78 हजार रुपये आवंटित हुए हैं। 


इसी बजट से करीब 2 करोड़ रुपये खर्च कर कई सफाई उपकरणों की खरीद की गयी थी। इसमें 110 ट्राई साइकिल, 396 हाथ ठेले, 5 रिफ्यूज कम्पेक्टर, 288 कंपेक्टर बिन, 56 डस्टबिन, 21 ऑटो ट्रिपर सीएनजी युक्त खरीदे गये हैं। हाथ ठेले को तो निगम ने सुरक्षित रखा है लेकिन कम्पेक्टर बिन को कूड़े के ढेर में डाल दिया गया। जिनमें अब जंक लगने लगा है। इस बारे में वित्त एवं लेखाधिकारी नागेन्द्र सिंह का कहना है कि एक-दो दिनों में सभी नये कम्पेक्टर बिन शहर में रखवा दिये जाएंगे। इसकी गुणवत्ता को लेकर कुछ बात आई थी जिस पर ठेकेदार द्वारा शपथपत्र दे दिया गया है। वहीं अपर नगर आयुक्त अरुण कुमार गुप्त का कहना है कि वह पता करते हैं कि नये डस्टबिन अभी क्यों नहीं लगे हैं।