कर्नाटक निजी स्कूल पाठ्यक्रम विवाद: अदालत ने रखा फैसला सुरक्षित 

Amrit Vichar Network
Published By Om Parkash chaubey
On

बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कर्नाटक शिक्षा अधिनियम 1983 के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिका में जिन प्रावधानों को चुनौती दी गई उनमें गैर सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्ति के लिए आरक्षण और राज्य सरकार द्वारा पाठ्यक्रम का निर्धारण करना शामिल है।

ये भी पढ़ें - अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा को लेकर चिंतित हूं, 'AAP' संदीप भारद्वाज की मौत की जिम्मेदार : मनोज तिवारी 

सरकार के कोई भी आपत्ति दर्ज कराने में विफल रहने पर उच्च न्यायालय ने मामले पर बृहस्पतिवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। कर्नाटक के निजी स्कूलों ने कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख करते हुए खुद पाठ्यपुस्तकों का मसौदा तैयार करने की अनुमति मांगी है। ‘कर्नाटक अनएडेड स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन’ (केयूएसएमए) की ओर से दायर याचिका में कर्नाटक शिक्षा अधिनियम, 1983 के प्रावधानों को चुनौती दी गई है।

याचिका में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल के लिए पाठ्यपुस्तकें और पढ़ाए जाने वाले विषयों के चयन में राज्य सरकार का दखल रोकने का अनुरोध किया गया। याचिका में राज्य सरकार को बच्चों के मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार को लागू नहीं करने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया, जिसमें निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में कमजोर वर्गों व वंचित समूहों के लिए सीट आरक्षित करने का प्रावधान है।

याचिका पर बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति आलोक अराधे और न्यायमूर्ति विश्वजीत शेट्टी की खंडपीठ ने सुनवाई की। केयूएसएमए के वकील के.वी. धनंजय ने कर्नाटक सरकार की पाठ्य पुस्तकों में सावरकर के जिक्र को लेकर हुए विवाद का भी जिक्र किया। उन्होंने 1984 के सिख दंगों का भी उदाहरण दिया और कहा कि सिख स्कूल भी उन्हें नहीं पढ़ा सकते। इसके बाद खंडपीठ ने मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया। 

ये भी पढ़ें - MP: ग्वालियर में ट्रेन के तीन डिब्बे पटरी से उतरे, कोई हताहत नहीं

संबंधित समाचार