लखनऊ विश्वविद्यालय 102वां स्थापना दिवस समारोह आयोजित, एक मंच पर पूर्व छात्रों को मिला सम्मान, ताजा हुई खट्टी मीठी यादें

लखनऊ विश्वविद्यालय 102वां स्थापना दिवस समारोह आयोजित, एक मंच पर पूर्व छात्रों को मिला सम्मान, ताजा हुई खट्टी मीठी यादें

  • 102वें स्थापना दिवस समारोह के मौके पर एक मंच पर सम्मानित किए गये लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र 
  •  परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा मैं विश्वविद्यालय का भाग्यशाली स्टूडेंट जो जेल जाने के बाद बन गया नेता
  •  विश्वविद्यालय की स्थापना दिवस के मौके पर कुलपति प्रोफेसर आलोक राय ने बताई विश्वविद्यालय की उपलब्धियां
  • पूर्व छात्रों ने कहा कि नैक से डबल प्लस की ग्रेडिंग मिलने पर उन्हें अपार खुशी

अमृत विचार लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में स्थापित नैक से ए डबल प्लस प्राप्त राज्य के पहले उच्च शिक्षण संस्थान लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपने 102 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर शुक्रवार को विश्वविद्यालय में स्थापना दिवस मनाया गया। स्थापना दिवस की खास बात ये रही कि पूर्व में विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर चुके छात्रों को एक ही मंच पर सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाले पूर्व छात्रों में न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त रितु राज अवस्थी, अनिल भारद्वाज, शशि प्रकाश गोयल, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष शुक्ला, आईएएस मनु श्रीवास्तव  को सम्मानित  किया गया। इस मौके पर प्रोफेसर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियां बताते हुए सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, यूपी परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, वरिष्ठ पत्रकार शशि शेखर भी उपस्थित रहे। इस मौके पर प्रो. आलोक कुमार राय ने सभी का परिचय उपस्थित विश्वविद्यालय परिवार से कराया और विगत वर्ष में विश्वविद्यालय की कुछ उपलब्धियों को गिनाया। उन्होंने विश्वविद्यालय को नैक द्वारा दिए गए ए++ ग्रेड के साथ-साथ एनईपी-2020 की सभी बिंदुओं को लागू करने वाला देश का पहला संस्थान होने की बात कही।

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स्थापना के 102 वर्ष पूरे कर चुका लखनऊ विश्वविद्यालय का रोशनी में नहाया एतिहासिक भवन

 

खट्ठी मीठी यादों के साथ भावुक हुए सम्मान पाकर पूर्व छात्र 
 इस अवसर पर विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन एवं वार्षिक कलैण्डर भी जारी किया गया। डॉ. अनिल भारद्वाज ने अपने विश्वविद्यालय के दिनों को याद किया और चंद्रयान मिशन के बारे में बात की, जिसका वह हिस्सा थे। आशुतोष शुक्ल ने अपने प्राध्यापकों को याद किया जिन्होंने उन पर अमिट छाप छोड़ी। यहां तक कि वह अपने मूल विभाग के कर्मचारियों को भी प्यार से याद करने से नहीं चूके। वहीं पूर्व छात्र जयंती प्रसाद ने अपने प्रोफेसरों को अच्छी यादों और उनके द्वारा गठित संगीत समूह को याद किया। वह इतना भावुक हो गए कि उनकी आंखों में आंसू आ गए।न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने इस दिन को एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में व्यक्त किया और अपने प्रोफेसरों के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि आज वो जो भी हैं अपने शिक्षकों की बदौलत है। शशि प्रकाश गोयल ने अपने विश्वविद्यालय के दिनों, टैगोर पुस्तकालय को याद किया और अपने शिक्षकों को सबसे बेहतरीन कह संबोधित किया। मनु श्रीवास्तव ने एक वीडियो संदेश भेजा क्योंकि उनकी पूर्व निर्धारित प्रतिबद्धताओं के कारण वे आज के समारोह का हिस्सा नही बन पाए, और आभार व्यक्त किया।

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विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह की सांस्कृतिक शाम सांस्कृतिकी के अंतर्गत वर्तमान और पुरातन छात्र-छात्राओं के हुनर से सजी। जिसमें अवध की सांस्कृतिक विरासत के रंगों को बखूबी पेश किया।

 

सांस्कृतिक शाम में दिखीं अवध की लोक परंपराएं 
विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह की सांस्कृतिक शाम सांस्कृतिकी के अंतर्गत वर्तमान और पुरातन छात्र-छात्राओं के हुनर से सजी। जिसमें अवध की सांस्कृतिक विरासत के रंगों को बखूबी पेश किया। दास्तानगोई, कथक और शास्त्रीय गीत-संगीत के रंगों से मालवीय सभागार चटख हो उठा। शुरुआत पुरातन छात्रा ऋतुपर्णा ने मनमोहक देवी स्तुति से की। इसके बाद ताल से ताल मिला शीर्षक प्रस्तुति में बीए तृतीय वर्ष की छात्रा नेत्शा और अकांक्षा ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुति से प्रशंसा पाई। एक के बाद एक शानदार प्रस्तुतियों के बाद पूरा सभागार अध्यात्म-भक्ति के रंगों में रंग गया। जब विवि में पढ. रही श्रीलंका की तीक्ष्णा व इहारा ने कैडिंयन डांस में भगवान परशुराम की महिमा का बखान किया। शहर के युवा रचनाकार विवि के पुरातन छात्र कवि पंकज प्रसून ने अपनी चुनिंदा रचनाओं ने खूब तालियां बटोरी। लोक रंगों से सजी स्थापना दिवस की शाम में पुरातन छात्रा वर्तिका तिवारी व छात्र जय सिंह ने जनकवि प्रदीप के कृतित्व-व्यक्तित्व पर आधारित डॉक्यूमेंट्री दिखाई। जिसमें कवि प्रदीप की  वर्तिका ने बताया कि कवि प्रदीप इसी विश्वविद्यालय के छात्र थे। हम सात रिसर्च स्टूडेंट्स ने काव्योम समूह के तहत यह डॉक्यूमेंट्री बनाई है। विवि में पढ रहे दीपांशी, अनुभूति, महक, आस्था, इहारा और सृष्टि व अन्य ने ऐसा देश है मेरा…गाकर लोगों में देशभक्ति का जोश भरा। डॉ ऋचा आर्य, सत्यम, अनुराधा, मनीषा व अन्य स्टूडेंट्स के समूह ने मनमोहक नृत्य नाटिका में चरवाक दर्शन प्रस्तुति दी। शुजाउर रहमान और शाजिया खान ने मुंशी प्रेमचंद की कहानी शतरंज के खिलाडी की दास्तानगोई कर सांस्कृतिक शाम को और खुशनुमा बना दिया।