आतंकियों के जाल में

आतंकियों के जाल में

आतंक को बढ़ावा देने वाला पाकिस्तान खुद आतंकियों के जाल में फंस चुका है। आतंकवादी उसके लिए नासूर बनते जा रहे हैं। पाकिस्तान के पेशावर में  भीड़ भरी मस्जिद में सोमवार को हुए आत्मघाती बम विस्फोट में 32 लोगों की मौत हो गई। यह इस उत्तर-पश्चिमी शहर में पुलिस को निशाना बनाकर किया गया नवीनतम हमला है,  जहां इस्लामी आतंकवादी सक्रिय हैं।

पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने हमले की जिम्मेदारी ली है। पेशावर, जो अफगानिस्तान की सीमा से लगे पाकिस्तान के कबायली जिलों के किनारे  है, अक्सर पाकिस्तानी तालिबान सहित आतंकवादी समूहों द्वारा निशाना बनाया जाता है। यह हमला पिछले साल मार्च के बाद से शहर का सबसे भीषण हमला था, जब शुक्रवार की नमाज के दौरान एक शिया मुस्लिम मस्जिद में आत्मघाती बम विस्फोट में कम से कम 58 लोग मारे गए थे । इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने उस बमबारी की जिम्मेदारी ली थी। 

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के रूप में जाना जाने वाला समूह सुन्नी और संप्रदायवादी इस्लामवादी  समूह है जो सरकार को उखाड़ फेंकना चाहता है और इसे अपने   इस्लामी शासन के ब्रांड के साथ बदलना चाहता है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की चर्चा पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक है। खतरनाक आतंकवादी संगठन टीटीपी ने पाकिस्तान के खिलाफ जिहाद का ऐलान कर दिया है। टीटीपी अशांत बलूचिस्तान प्रांत समेत पाकिस्तान के अन्य इलाकों में कई हमले कर रहा है। 16 दिसंबर 2014 को पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल पर आतंकी हमला हुआ था।  इसमें 148 लोग मारे गए थे।  इनमें 132 स्कूली बच्चे थे।  

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर टीटीपी के कई हजार लड़ाके  हैं, जो पाकिस्तान सरकार के खिलाफ ‘युद्ध’ छेड़े हुए हैं। टीटीपी को लेकर अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव खतरनाक रूप लेता जा रहा है। दोनों देशों के बीच डूरंड लाइन पर तमाम एंट्री और एग्जिट पॉइंट बंद किए जा चुके हैं।

हालात ये हैं कि दो महीनों में दोनों देशों के बीच फायरिंग में करीब 16 पाकिस्तानी सैनिक मारे जा चुके हैं। हाल ही में अफगान तालिबान के प्रवक्ता ने अफगानिस्तान में टीटीपी के भविष्य के बारे में कहा था कि टीटीपी पाकिस्तान के अंदर का मुद्दा है और उनके समूह का इससे कोई लेना-देना नहीं है। कहा जा सकता है पाकिस्तान को शायद इस बात का अंदाजा नहीं रहा होगा कि आतंकियों को पनाह देने वाला देश खुद एक दिन इसका शिकार बन जाएगा।