तालिबान का महिला सहायता कर्मियों पर प्रतिबंध कई मानवीय कार्यक्रमों को 'खत्म करने जैसा': United Nations

Amrit Vichar Network
Published By Priya
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संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र के विश्वव्यापी मानवीय अभियानों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स ने सोमवार को आगाह किया कि अफगानिस्तान में महिला सहायता कर्मियों पर तालिबान का प्रतिबंध कई महत्वपूर्ण मानवीय कार्यक्रमों को 'खत्म करने जैसा है।' मार्टिन ग्रिफिथ्स ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर तालिबान ने अपने फरमान में कुछ अपवाद शामिल नहीं किए तो 'यह विनाशकारी होगा।'

 उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सहायता समूहों सहित एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले सप्ताह अफगानिस्तान के विदेश मामलों और वित्त मंत्रियों सहित तालिबान के नौ अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान यह मामला उठाया था कि मानवीय कार्यों में अफगानिस्तानी महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। ग्रिफिथ्स ने कहा, 'हमें धैर्य रखने के लिए कहा गया। हमें बताया गया कि तालिबान अधिकारियों द्वारा दिशानिर्देशों पर काम किया जा रहा है, जिसके तहत मानवीय कार्यों में महिलाओं की मौजूदगी की अनुमति दी जा सकती है।'

 उन्होंने कहा कि तालिबान का लगातार यह संदेश देना कि 'महिलाओं के काम करने के लिए एक जगह होगी, यह थोड़ा तसल्ली देने वाला साथ ही एक महत्वपूर्ण संदेश है।' ग्रिफिथ्स ने गत वर्ष 24 दिसंबर को जारी किए गए तालिबान के फरमान का जिक्र किया जिसके बाद से सहायता समूह अफगानिस्तानी महिलाओं को रोजगार नहीं दे पा रहे हैं। 

वहीं संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के लिए ‘प्रोग्रामिंग’ के उप कार्यकारी निदेशक उमर आब्दी ने कहा कि 60 लाख अफगानिस्तानी आपातकालीन स्तर की खाद्य समस्या का सामना कर रहे हैं और अकाल से महज एक कदम दूर हैं। उन्होंने कहा कि इस साल 875,000 बच्चों के गंभीर कुपोषण से पीड़ित होने की आशंका है और यही कारण है कि 'इन कार्यों को जारी रखना महत्वपूर्ण है।'

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