शालिग्राम शिला नहीं है नेपाल से आई देवशिला : निधि

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Published By Virendra Pandey
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अमृत विचार,अयोध्या। नेपाल से अयोध्या आई देवशिला कृष्ण गंडकी नदी की शालिग्राम शिला नहीं है। यह कहना है नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री विमलेन्द्र निधि का। उन्होंने रामसेवकपुरम में अमृत विचार से बातचीत के दौरान कहा कि शालिग्राम शिला मूलतः पूर्ण श्याम वर्ण में होती है और छोटी होती है। इस शिला को धार्मिक दृष्टि से खंडित नहीं किया जा सकता है।

शिला

उन्होंने बताया कि रामलला के विग्रह के लिए जिस प्रकार के शिला की जरूरत थी, उसे गंडकी क्षेत्र में खोजा गया और उसका परीक्षण कराया गया। उन्होंने जानकारी दी कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने उनसे सात गुणा पांच गुणा तीन फिट की दो शिलाओं की अपेक्षा की थी, यह वही शिला है। उन्होंने कहा कि नेपाल के पुरातन सम्बन्ध का एक नया अध्याय जुड़ेगा जब इस शिला से रामलला के विग्रह का निर्माण कर रामजन्मभूमि में प्रतिष्ठित किया जाएगा। अब इससे लगता है कि रामलला का विग्रह इसी शिला से बनेगा। हालांकि इस बारे में अभी राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के किसी पदाधिकारी ने अंतिम रूप से अपनी बात नहीं कही है।

दरअलस, बुधवार देर शाम श्रीरामजन्मभूमि के निर्माणाधीन मंदिर में भगवान श्रीराम के विग्रह निर्माण के लिए नेपाल से लाई गयी देवशिला का अयोध्या नगर की सीमा में पूरी भव्यता के साथ स्वागत किया गया। कई घंटे की प्रतीक्षा के बाद देवशिला के नगर की सीमा में प्रवेश करते ही रामनगरी गगनभेदी जयघोष से  गुंजायमान हो उठी।  इस दौरान रामभक्तों ने भगवान शालिग्राम के प्रति अपनी श्रद्धा निवेदित करते हुए पुष्प वर्षा की और श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के नेतृत्व में गाजे-बाजे के साथ यात्रा का स्वागत किया। 

इससे पहले देर शाम वाहनों के लंबे काफिले के साथ देवशिला यात्रा के अयोध्या में प्रवेश करते ही जबरदस्त आतिशबाजी की गयी। इस दौरान डीजे की धुन पर रामभक्त थिरकने रहे। रामसेवकपुरम पहुंचने पर जय सियाराम के घोष के साथ देवशिला के साथ जनकपुरवासियों का भी अभिनंदन किया गया।

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