हल्द्वानी: हंसा हत्याकांड - पॉलीग्राफ टेस्ट रिपोर्ट में बंद कत्ल की कहानी
सितंबर 2021 को मुखानी के चीनपुर में हुई करोड़ों की जमीन के मालिक हंसा दत्त जोशी की हत्या का नहीं हो सका खुलासा
हल्द्वानी, अमृत विचार। हल्द्वानी में करोड़ों की जमीन के मालिक हंसा दत्त जोशी अपने ही बाथरूम में मृत पाए गए। कत्ल का आरोप उन्हीं के करीबी और खुद को उनका दत्तक पुत्र कहने वाले पर लगा। ये इल्जाम हंसा की बेटी सौम्या ने लगाया। सितंबर 2021 में हुई इस घटना को लगभग डेढ़ साल गुजर गया, लेकिन नतीजा अभी तक निल है। अब मामले में पॉलीग्राफ टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार है और इसी रिपोर्ट में बंद है कत्ल और हादसे की कहानी।
मुखानी के चीनपुर निवासी हंसा दत्त जोशी 38 बीघा जमीन के मालिक थे। हंसा को कोई बेटा नहीं था। उनकी सिर्फ दो बेटियां हैं, लेकिन बेटियां पिता के साथ कम ही रहती थीं। हंसा करोड़पति होने के बावजूद किसी गरीब की तरह जीवन गुजार रहे थे।
बेटियों से दूरी ने उनके आस-पास कई लोगों की भीड़ जमा कर दी थी। इसी बीच सितंबर 2021 में हंसा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। उनकी लाश उन्हीं के घर में बाथरूम में पड़ी मिली। लाश को सिर्फ उन लोगों ने देखा, जिन पर हंसा की बेटी सौम्या ने हत्या का इल्जाम लगाया। इन्हीं लोगों ने बगैर पुलिस को खबर किए हंसा को अस्पताल भी पहुंचाया।
हंसा की मौत का सबसे ज्यादा फायदा भी इन्हीं आरोपियों को हुआ। आरोपियों का कहना था कि हंसा ने अपनी जमीन उन्हें दान की है। इस बीच आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जाहिर हुई चोटों से पुलिस किसी नतीजे तक नहीं पहुंची। हर प्रयास करके हारी पुलिस ने अंत में आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया। करीब डेढ़ माह पूर्व इन आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट भी करा लिया, लेकिन टेस्ट रिपोर्ट अभी तक नहीं आई।
शिवा और अक्षत पर लगा है हत्या का आरोप
मुखनी थाने में दर्ज रिपोर्ट में हंसा की बेटी सौम्या ने कहा जब वह अस्पताल पहुंचे तो सोनू उर्फ शिवा गिनवाल व अक्षत वहां पहले से मौजूद थे। आरोप लगाया की पिता हंसा चीनपुर में अकेले रहते थे और उनके अकेलेपन का फायदा उठा कर शिवा और अक्षत ने साथियों के साथ मिलकर साजिशन दाननामे पर रजिस्ट्री करा ली। दाननामे और रजिस्ट्री बैनामे में लाभांवित व्यक्तियों को शंका थी कि हंसा उनके विरुद्ध जा सकते हैं और इसीलिए उनका कत्ल कर दिया गया।
दान की जमीन पर हो गई दर्जनों रजिस्ट्री
इस मामले में हंसा की मौत को उन्हीं की जमीन से जोड़ कर देखा जा रहा है। आरोप लगे थे की इसी जमीन के लिए आरोपियों ने उनकी सुनियोजित हत्या की। आरोपियों का दावा था की जिस जमीन की बात की जा रही है, वो जमीन उन्होंने हथियाई नहीं, बल्कि हंसा ने उन्हें जमीन दान में दी थी। बहरहाल, दान की जमीन पर दर्जनों की संख्या में रजिस्ट्री हो चुकी और बड़ी संख्या में लोगों ने अपने आशियाने बना लिए हैं। न सिर्फ रजिस्ट्री, बल्कि खरीदने वाले अधिकांश लोगों ने दाखिल खारिज भी करा ली है।
पुलिस, एसओजी, एसआईटी और पॉलीग्राफ टेस्ट
हंसा की मौत के बाद उनके शव का दो बार पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी ऐसी आई की पुलिस उलझ कर रह गई। मुखानी पुलिस से बात नहीं बनी तो मामले में एसओजी को लगाया गया। एसओजी ने भी अपनी ओर से पूरी कोशिश कर ली, लेकिन नतीजा नहीं निकला। जिसके बाद पुलिस ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी। महीनों गुजर जाने के बाद भी जब कत्ल के सुबूत नहीं मिले तो अंत में आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया गया।
