एक और झटका ! Bengaluru के Former Police Commissioner भास्कर राव AAP छोड़कर BJP में शामिल

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Published By Himanshu Bhakuni
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बेंगलुरु। बेंगलुरु (कर्नाटक) के पूर्व पुलिस कमिश्नर आम आदमी पार्टी (आप) छोड़कर बुधवार को बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी में शामिल होने के बाद भास्कर ने 'आप' में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाते हुए कहा, पार्टी भ्रष्टाचार से लड़ने के नाम पर चंदा इकट्ठा करती है। गौरतलब है कि कर्नाटक में मई 2023 के आसपास विधानसभा चुनाव होने हैं।

पूर्व आईपीएस अधिकारी भास्कर राव 11 महीने पहले ही आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद पार्टी जॉइन कराई थी। कहा जा रहा है कि मनीष सिसोदिया के शराब कांड में जेल जाने के बाद पार्टी में खलबली मची है। सियासत में लंबी छलांग का सपना देख रहे भास्कर राव को अपनी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा था इसलिए वह बीजेपी की नाव में सवार हो गए।

भास्कर राव के करियर से विवाद भी जुड़े हैं। 2019 अगस्त में एक बातचीत का ऑडियो लीक हुआ था, जिसे राव और एक सत्ता के दलाल के बीच हुई बातचीत बताई गई थी। बीजेपी और जेडीएस के बीच अवैध फोन-टैपिंग को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। बाद में वह दलाल पॉन्जी स्कीम का संदिग्ध भी निकला था। मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई थी। सीबीआई की बी रिपोर्ट फाइल हुई थी। बेंगलुरू पुलिस आयुक्त रहते हुए भी वह विवादों में रहे। पूर्व उपमुख्यमंत्री सीएन अश्वथनारायण ने भास्कर राव पर 2020 में लॉकडाउन के दौरान ई-कॉमर्स कंपनियों से रिश्वत लेने का आरोप लगाया था।

भास्कर राव को साइकिल चलाना बहुत पसंद है। बासवनागुड़ी बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है। इस इलाके में ब्राह्मणों की अच्छी आबादी है। भास्कर राव भी ब्राह्मण समुदाय से ही आते हैं। हालांकि उन्होंने जब आप जॉइन किया था तो कहा था कि आप उन्हें इसलिए पसंद है क्योंकि यह पार्टी सांप्रदायिकता की राजनीति नहीं करती है। भास्कर राव ने सितंबर 2021 में अपने पद से इस्तीफा दिया था। हालांकि कर्नाटक सरकार ने उनका इस्तीफा 1 अप्रैल 2022 को स्वीकार किया। भास्कर राव चेन्नई के मूल निवासी हैं। वह 1990 बैच के कर्नाटक काडर के आईपीएस रहे हैं। वह बेंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त, बेंगलुरु रूरल एसपी और आयुक्त रहे। इसके अलावा परिवहन विभाग में भी उनकी तैनाती रही।

राव पिछले साल बेंगलुरु शहर के एक निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ने की आकांक्षा के साथ आप में शामिल हुए थे। हालाकि, पार्टी के राज्य संयोजक पृथ्वी रेड्डी के साथ उनके संबंध इतने सौहार्दपूर्ण नहीं थे क्योंकि दोनों के बीच राज्य नेतृत्व को लेकर खींचतान थी। राव का आप छोड़ने का फैसला ऐसे समय में आया है जब पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 4 मार्च को कर्नाटक का दौरा करने वाले हैं। वह दावणगेरे में एक रैली को संबोधित करेंगे।

आईपीएस से इस्तीफा देने वाले राव पिछले साल अप्रैल में आप में शामिल हुए थे, उन्हें हाल ही में पार्टी की घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था और वह राज्य में पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक के रूप में उभरे थे। उन्हें बसावनगुडी निर्वाचन क्षेत्र से आप का उम्मीदवार होने की अफवाह थी। भास्कर राव के अरविंद केजरीवाल की पार्टी के कुछ राज्य नेताओं के साथ अच्छे संबंध नहीं थे और हाल के संगठनात्मक परिवर्तनों से नाखुश थे।

आईपीएस से इस्तीफा देने वाले राव पिछले साल अप्रैल में आप में शामिल हुए थे, उन्हें हाल ही में पार्टी की घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था और वह राज्य में पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक के रूप में उभरे थे। उन्हें बसावनगुडी निर्वाचन क्षेत्र से आप का उम्मीदवार होने की अफवाह थी। भास्कर राव के अरविंद केजरीवाल की पार्टी के कुछ राज्य नेताओं के साथ अच्छे संबंध नहीं थे और हाल के संगठनात्मक परिवर्तनों से नाखुश थे। आप के राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व ने अभी तक राव की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, पार्टी के एक राज्य स्तरीय नेता ने कहा कि राव की ओर से आप से यह उम्मीद करना अनुचित है कि वह हाल ही में आए एक नए सदस्य की मांगों को पूरा करने के लिए तुरंत बड़े बदलाव करेगी। उन्होंने कहा कि आप भास्कर राव को शुभकामनाएं देती है।

भास्कर राव कथित तौर पर विधानसभा चुनावों से पहले कर्नाटक में आप की खराब प्रगति से नाखुश थे। भास्कर राव ने महसूस किया कि भाजपा, कांग्रेस या जेडीएस को चुनौती देने के लिए पार्टी पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है। कर्नाटक में वह आप से राजनीति भी नहीं कर पा रहे हैं इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला लिया। भास्कर राव को आप ने कर्नाटक में मेनिफेस्टो कमेटी का अध्यक्ष भी बनाया था। बीजेपी में शामिल होने के बाद भास्कर राव ने कहा कि वह एक ऐसी पार्टी में अंदरूनी कलह के बीच समय बर्बाद नहीं करना चाहते हैं जो कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में मुख्य खिलाड़ी नहीं है।

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