त्वचा और आंखों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं रासायनिक रंग, ऐसे रखें ख्याल

त्वचा और आंखों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं रासायनिक रंग, ऐसे रखें ख्याल

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बरेली, अमृत विचार। होली पर हमेशा की तरह इस बार भी बाजार में रासायनिक रंगों की भरमार है। ये रंग आंखों के साथ त्वचा को भी भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। डॉक्टरों ने इन रंगों से बचने की सलाह दी है।

तीन सौ बेड अस्पताल के फिजिशियन डॉ. वैभव शुक्ला के मुताबिक होली के लिए अधिकतर रंग रसायनों से तैयार होते हैं। इनमें आक्साइड, सल्फर, जिंक जैसे शरीर के लिए खतरनाक रसायनों की मिलावट होती है, लिहाजा होली पर घर में बने प्राकृतिक रंगों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि अभ्रक महंगा होने की वजह से अबीर-गुलाल में भी बालू, चाक पाउडर, खड़िया, शीशा और चूना जैसी चीजें मिलाई जाती हैं। मिलावटी गुलाल की जांच के लिए उसे हाथ में मलकर देखना चाहिए। अगर शीशा, या चाक की मिलावट का संदेह हो तो उसे न खरीदें। हर्बल अबीर का ही इस्तेमाल करे।

जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. राहुल बाजपेयी का कहना है कि रासायनिक रंगों का तत्काल और दूरगामी दोनों तरह के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। फौरी तौर पर त्वचा और आंख में एलर्जी हो सकती है जो आंखें लाल हो जाने और शरीर पर दानों के तौर पर सामने आ सकती है। इसलिए इनसे बचना चाहिए और अबीर-गुलाल से ही होली खेलनी चाहिए। बाजार से जुड़े लोगों के अनुसार अनुसार रासायनिक रंगों के साथ बाजार में हर्बल रंगों बड़े पैमाने पर कारोबार शुरू हो गया है। असली और नकली की पहचान कर पाना भी मुश्किल है।

रंग लगने के बाद न जाएं सूरज की रोशनी में
विशेषज्ञों के अनुसार रंगों में विभिन्न प्रकार के ऑक्साइड का प्रयोग होता है। रंग लगने के बाद सूरज की रोशनी में नहीं जाना चाहिए क्योंकि इससे फोटो केमिकल रिएक्शन होने के बाद चेहरा खराब हो सकता है। हरे रंग में क्रोमियम ऑक्साइड, गुलाबी में कोबाल्ट ऑक्साइड, बैंगनी में माल्बिडेनम ऑक्साइड, नारंगी में मरकरी ऑक्साइड और पीले रंग में कैडमियम ऑक्साइड का इस्तेमाल होता है। त्वचा पर इसका प्रभाव एलर्जी और चकत्ते फैलने के तौर पर होता है।

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