बरेली: साहूकारी अधिनियम से आजाद हुए सूदखोर... मजबूर जरूरतमंद और ज्यादा भुगतेंगे

अधिनियम खत्म होने के बाद ब्याज पर पैसे देना हुआ अवैध, साहूकारी के सभी लाइसेंस निरस्त, सूदखोरों पर साधारण धारों में ही हो सकेगी कार्रवाई

बरेली: साहूकारी अधिनियम से आजाद हुए सूदखोर... मजबूर जरूरतमंद और ज्यादा भुगतेंगे

बरेली, अमृत विचार : राज्य सरकार ने साहूकारी अधिनियम को खत्म कर दिया है। नाजायज सूदखोरी करने वाले लोगों को इसका बड़ा फायदा मिलने के साथ किसानों समेत उन हजारों जरूरतमंद लोगों की मुश्किलें बढ़ने का अंदेशा जताया जा रहा है, गाहे-बगाहे कर्ज लेना जिनकी मजबूरी है। अब तक ऐसे सूदखोरों के खिलाफ इसी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती थी लेकिन अब आईपीसी की साधारण धाराओं के तहत ही हो सकेगी।

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अधिनियम खत्म होने के बाद अब कोई साहूकार किसी ब्याज पर पैसे नहीं दे सकेगा। उप्र साहूकारी विनियमन अधिनियम 1976 (उप्र अधिनियम संख्या-29 सन 1976) निरस्त करने के साथ इस अधिनियम के तहत बनाए गए साहूकारी लाइसेंस भी अमान्य घोषित कर दिए गए हैं।

शासन स्तर पर प्रक्रिया पूरी होने के बाद 21 मार्च को सचिव प्रभु एन सिंह की ओर से गजट की कॉपी के साथ पत्र जारी इस संबंध में जरूरी कार्रवाई करने का आदेश दिया गया था। यह पत्र कलेक्ट्रेट पहुंचने के बाद शुक्रवार को उप्र साहूकारी विनियमन अधिनियम बरेली के रजिस्ट्रार संतोष बहादुर सिंह जिले में अधिनियम को निरस्त करने की अधिसूचना जारी कर दी। उन्होंने बताया कि अब सभी साहूकारी लाइसेंस अमान्य हो गए हैं। अब कोई ब्याज पर पैसे देगा तो वह अवैध माना जाएगा।

कानून के जानकारों के साथ प्रशासनिक हल्कों में भी माना जा रहा है कि 47 साल पहले बनाए गए साहूकारी अधिनियम के खत्म होने से अवैध सूदखोरी को और बढ़ावा मिलेगा। कहा जा रहा है कि जो साहूकार मूलधन पर चक्रवृद्धि ब्याज लगाकर लोगों का खून चूसते थे, उनके खिलाफ पुलिस में इसी अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज करती थी, लेकिन अब इस अधिनियम के तहत कार्रवाई नहीं हो सकेगी।

बरेली में 1000 लाइसेंस निरस्त, फाइलें दाखिल दफ्तर करने की तैयारी: बरेली जिले में साहूकारी अधिनियम के तहत 1000 से ज्यादा साहूकारी के लाइसेंस चल रहे थे। अधिनियम खत्म होने से ये सभी लाइसेंस स्वत: निरस्त हो गए हैं। इसी कारण सभी लाइसेंस की फाइलों को अब दाखिल दफ्तर करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसके साथ जिन लोगों ने साहूकारी अधिनियम में लाइसेंस बनवाने या नवीनीकरण के संबंध में आवेदन किया है, वे भी निरस्त हो गए हैं।

चली गईं न जाने कितनी जानें

केस- 1

21 जून 2021 में फतेहगंज पश्चिमी ब्लॉक में तैनात मीरगंज के संजरपुर गांव निवासी शिक्षक चंद्रपाल ने सूदखोरों से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या से पहले उन्होंने वीडियो वायरल किया जिसमें तीन लोगों को मौत का जिम्मेदार ठहराया था। पुलिस ने चार आरोपियों के विरुद्ध साहूकारी अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज की थी।

केस- 2

सितंबर 2022 में रोजा (शाहजहांपुर) के हथौड़ा स्थित वसंत विहार कॉलोनी निवासी प्रापर्टी डीलर सतीश कुमार और उनकी पत्नी ने सूदखोरों से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। फांसी के फंदे पर लटकने से पहले सतीश ने सूदखोरी के जाल में फंसने से लेकर धमकियों और घुट-घुटकर जीवन जीने का संपूर्ण जिक्र सुसाइड नोट में लिखा था।

कानूनी नजरिया: अधिवक्ता संजय कुमार वर्मा के मुताबिक साहूकारी अधिनियम खत्म करना गलत है। इसके बाद अब नाजायज सूदखोरों की ओर से गरीब जरूरतमंदों का शोषण और उत्पीड़न दोगुना हो जाएगा। जो साहूकार दो प्रतिशत ब्याज लेते थे, वे उसे कई गुना बढ़ा देंगे और जरूरतमंदों के लिए कर्ज लेना मुसीबत बन जाएगा।

अपराधों में भी बढ़ोतरी होगी। साहूकारों पर कानूनी कार्रवाई अब आईपीसी के तहत ही लागू होगी। साहूकारों के लिए ही यह अधिनियम विशेष रूप सेतैयार किया गया था। इसे वापस लेना दुर्भाग्यपूर्ण है।

उप्र साहूकारी विनियमन अधिनियम समाप्त होने की जानकारी मिली है। अब अवैध सूदखोरी के संबंध में कोई भी पीड़ित पुलिस में शिकायत करेगा तो धमकी, रंगदारी मांगने के साथ आईपीसी की दूसरी धाराओं में ही रिपोर्ट दर्ज हो सकेगी।- डॉ. राकेश सिंह, आईजी बरेली

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