padma awards 2023: केवल एक रुपये में गला तर करने वाली रसना फिर हुई फेमस, फाउंडर पिरोजशॉ खंबाटा को मिला पद्मश्री... राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया सम्मानित

Amrit Vichar Network
Published By Priya
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नई दिल्ली। रसना ग्रुप के संस्थापक और अध्यक्ष अरीज़ पिरोजशॉ खंबाटा को गुजरात के व्यापार एवं उद्योग क्षेत्र में उनके काम के लिए मरणोपरांत पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक यह पुरस्कार राष्ट्र निर्माण की दिशा में खंबाटा के जीवन भर के कार्य के लिए प्रदान किया गया है। यह पुरस्कार उनकी ओर से उनकी पत्नी पर्सिस अरीज़ खंबाटा और पुत्र पिरुज़ अरीज़ खंबाटा ने ग्रहण किया।

खंबाटा इस तरह का सम्मान पाने वाले अहमदाबाद के पहले पारसी हैं। उन्होंने मूल स्टार्टअप, मेड इन इंडिया कंपनी की स्थापना की थी जिसने अंतर्राष्ट्रीय बाजार को भी जीत लिया है। आज रसना विश्व स्तर पर इंस्टेंट ड्रिंक एंड बेवरीज निर्माता के रूप में जाना जाता है जिसका 80 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी भारत में है। राष्ट्र निर्माण की भावना से खंबाटा ने अपने कई अवतारों के माध्यम से सेवा की है।

खंबाटा का यह वर्ल्ड फेमस ब्रैंड केवल 1 रुपये के किफायती दाम पर फलों से बने सूखे/गाढ़े रूप में शीतल पेय बेचता है। रसना ग्रुप का कहना है कि यह विटामिन्‍स और कई पोषक-तत्‍वों के साथ लाखों भारतीयों की प्‍यास बुझाता है।

 एक व्यवसायी के रूप में उन्होंने लाखों रोजगार सृजित करते हुए आर्थिक विकास में योगदान दिया है। एक परोपकारी व्यक्ति के रूप में उन्होंने सुविधा वंचित लोगों के लिए शिक्षा और चिकित्सा देखभाल के विकास की दिशा में अथक प्रयास किया है। एक सामुदायिक नेता के रूप में उन्होंने भारत और विदेशों में पारसी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए काम किया है और होमगार्ड के कमांडेंट के रूप में उन्होंने राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की रक्षा की है।

अपने उसूल “काम काम काम” के साथ जीते हुए उन्होंने हमेशा उद्यमियों की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने का प्रयास किया। हमारे साथ बिताए समय में उन्होंने जितनी जिंदगियां सवारी हैं उनके इस काम को लोग लम्बे समय तक याद रखेंगे। रसना ग्रुप के अध्यक्ष पिरूज खंबाटा ने कहा, “खंबाटा परिवार भारत के राष्ट्रपति द्वारा मरणोपरांत अरीज़ खंबाटा को दिए गए इस पुरस्कार को विनम्रतापूर्वक स्वीकार कर रहा है। हम इसके लिए हमेशा आभारी हैं। मैंने और मेरे परिवार ने राष्ट्र निर्माण की दिशा में मेरे स्वर्गीय पिता के पदचिन्हों पर चलने के लिए खुद को समर्पित कर दिया है।” 

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