बदायूं: सिर से उठा पिता का साया, मां ने भी छोड़ा, पांच साल से इधर-उधर भटक रहे बच्चे

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Published By Vishal Singh
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ओरछी, अमृत विचार। कहा जाता है के बच्चे के दुनियां में आने से पहले ईश्वर उसके खाने पीने का इंतजाम कर देता है। मगर फैजगंज बेहटा क्षेत्र के गांव परमानंदपुर में पांच मासूमों की हालत देखकर हर किसी का दिल पसीज जाता है। करीब पांच साल पहले इन पांच मासूमों के सिर से पिता का साया उठ गया।

पिता के गुजर जाने के करीब एक साल बाद मां उन्हें छोड़कर चली गई। रिश्तेदारों ने भी साथ नहीं दिया। बदकिस्मती के मारे पांचों बच्चे दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। उन्हें कोई जो खाने को दे देता है उसी से पेट भरके रात को सो जाते हैं। पांचों भाई-बहन पिता के कच्ची मिटटी से टूटे फूटे घर में रहते हैं। पांच इधर-उधर घूमकर भीख मांगते हैं।

उन्हें कोई जो खाने पीने को दे देता है उसी से गुजारा करते हैं। मांगे हुए कपड़े पहनकर दिन गुजार रहे हैं। सुबह होते ही चाय-नाश्ते की जुगाड़ में इधर-उधर घूमते रहते हैं। कहीं कुछ मिल गया तो ठीक, नहीं तो ऐसे ही दोपहर हो जाता है। फिर उन्हें खाने की चिंता सताने लगती है। आस पड़ोस के लोग कुछ मदद कर देते हैं। कस्बा ओरछी चौराहे जाने पर कुछ खाने का इंतजाम हो जाता है।

मगर उनकी मदद के लिए कोई सामने नहीं आ रहा। कहने को गरीबों के लिए तमाम सरकारी योजनाएं चल रही हैं। मगर इन गरीब मासूमों को कोई सुविधा दिलाने वाला नहीं है। पांच बच्चों में सबसे बड़ी बहन सलोनी 12 साल की है। वही, इधर-उधर से मांग कर अपने चार भाइयों का पेट भर देती है।

मांगने से जो मिल जाता उसी से अपना और अपने चारों भाइयों अमित, शिवम, अर्जुन, सर्जुन का पेट भरती है। इनें दो भाई जुड़वा हैं। बच्चों ने बताया कि पांच पहले उनके पिता संजीव ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद उनकी मां आर्थिक स्थिति से जूझती रही। फिर वह भी छोड़ कर चली गई। तब से अभी तक प्रधान कोई नेता या अधिकारी उनकी मदद के लिए सामने नहीं आया।

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