त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने वन भूमि अतिक्रमण पर चिंता जताई, मांगी रिपोर्ट 

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Published By Vishal Singh
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अगरतला। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने उत्तर त्रिपुरा जिले को उन लोगों का विवरण जुटाने का निर्देश दिया है, जिन्होंने मनुमनपुई में वन भूमि पर अतिक्रमण किया है, जिसे लेकर क्षेत्र में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। 

उन्होंने बताया कि वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर साहा ने मंगलवार को सचिवालय में उत्तर त्रिपुरा के जिलाधिकारी जी नागेश कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। गृह सचिव सारधिन्दु चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “बैठक में मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और प्रधान मुख्य वन संरक्षक की उपस्थिति में मनुमनपुई में आरक्षित वन क्षेत्रों पर जबरन कब्जा करने को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी से कहा कि अतिक्रमणकारियों का ब्योरा एकत्रित कर सरकार को जल्द से जल्द रिपोर्ट भेजें।” 

चौधरी ने बताया कि अतिक्रमणकारियों के बारे में जो जानकारी मांगी गई है, उसमें उनका नाम, पता, मंशा और पृष्ठभूमि शामिल है। उन्होंने कहा कि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कितने लोगों ने आरक्षित वन क्षेत्र पर अतिक्रमण किया है। चौधरी के मुताबिक, विशेष शाखा के पुलिस अधीक्षक से कहा गया है कि वे इसकी जांच करें कि क्या अतिक्रमणकारियों की उग्रवादी पृष्ठभूमि है, और इस संबंध में एक रिपोर्ट पेश करें। पिछले एक महीने से, आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों के लोग वन विभाग की आपत्ति के बावजूद, कंचनपुर अनुमंडल के मनुमनपुई में अस्थायी ढांचों का निर्माण कर रहे हैं। 

स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, करीब 1,250 परिवारों ने पहले ही इलाके में शरण ले रखी है। वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टे पाने वाले सैकड़ों स्थानीय लोगों ने मंगलवार को मनुमनपुई में धरना दिया और मांग की कि उनके भूखंडों को तुरंत खाली कराया जाए। 1997 में जातीय संघर्ष के बाद मिजोरम से भागकर त्रिपुरा आने वाले ब्रू समुदाय के लोगों का कंचनपुर उप-मंडल में बड़ी संख्या में पुनर्वास किया गया था। एक जिला अधिकारी ने कहा कि वन भूमि पर अतिक्रमण करने वालों ने भूमि खाली करने के बदले आवास सहित अन्य पुनर्वास सुविधाओं की मांग की है। 

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