अयोध्या : हिमाचल से आए रागी जत्थों ने शबद-कीर्तन से बांधा समां

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, अयोध्या । गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब में बैसाखी समागम व सम्मान समारोह के दौरान हिमाचल के ऊना साहिब से आए गुरमीत सिंह ने शबद कीर्तन कर समां बांध दिया। उन्होंने कोई बोले राम-राम कोई खुदा ए कोई सेवे गोसाईया कोई अलाहे जैसी पंक्तियों से सभी को आस्था के सूत्र में बांधे रखा। कार्यक्रम में कोरोना काल में लगातार 52 दिन गरीबों के लिए लंगर की व्यवस्था करने वाले प्रतिष्ठित विभूतियों को सम्मानित भी किया गया। गुरुवार देर शाम हुए आयोजन के दौरान गुरुद्वारा दुख निवारण प्रबंध समिति के सचिव प्रतिपाल सिंह पाली ने कहा कि बैसाखी का त्यौहार मुख्यत: किसानों का त्यौहार है। यह पंजाब और हरियाणा में धूमधाम से मनाया जाता है। इस समय रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है। इसके अतिरिक्त यह पर्व सिख नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है।

उन्होंने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। बैसाखी के शुभ अवसर पर गुरु गोविन्द सिंह और उनके पंच प्यारों को याद किया जाता है और उनके सम्मान में शबद-कीर्तन किये जाते हैं। उन्होंने देश तथा समाज की रक्षा के लिए लड़ते-लड़ते अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। हम सभी को भी सदा समाज की भलाई के लिए कार्य करना चाहिए। अपने बच्चों को भी समाज की भलाई के कार्यों के लिए प्रेरित करना चाहिए। सम्मानित होने वालों में सरदार मंजीत सिंह, प्रभात टंडन, डॉ.चंद्र प्रकाश त्रिपाठी, रोहित सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि, आशीष अग्रवाल, पवन जीवनी, डॉ.अभय प्रताप सिंह, डॉ. इंद्रोनील बनर्जी, प्रदीप तिवारी, कुंवर आनंद प्रताप सिंह, बृजेश यादव, डॉ. प्रदीप खरे शामिल थे।

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