प्रयागराज : मलियाना नरसंहार मामले में निचली अदालत का रिकॉर्ड तलब
प्रयागराज,अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को मेरठ के मलियाना नरसंहार मामले में 41 अभियुक्तों को बरी करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली एक नई याचिका को स्वीकार कर लिया है। नरसंहार के शिकार एक पीड़ित रईस अहमद द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की खंडपीठ ने मामले से संबंधित निचली अदालत का रिकॉर्ड तलब किया।
मालूम हो कि एक महीने पहले निचली अदालत ने आरोपी व्यक्तियों को "सबूतों के अभाव में" बरी कर दिया था। याची के अधिवक्ता ने बताया कि ट्रायल कोर्ट ने फैसले में कहा कि मृतक व्यक्तियों के पोस्टमॉर्टम की मूल प्रतियां और साथ ही घायल व्यक्तियों की मेडिकल रिपोर्ट अदालत के सामने नहीं रखी गई थीं और केवल फोटोकॉपी रिकॉर्ड में थी जो सबूत के रूप में स्वीकार्य नहीं थीं।निचली अदालत के आदेश से यह स्पष्ट है कि इस मामले को उतनी गंभीरता से नहीं लिया गया, जितना जरूरी था।
अधिवक्ता ने आगे कहा कि उक्त रिपोर्ट की मूल प्रति मांगी जानी चाहिए थी। ट्रायल कोर्ट के फैसले में कई खामियां हैं, जिन्हें मामले में सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय के समक्ष रखा जाएगा।
मामले के अनुसार वर्ष 1987 में मेरठ के हाशिमपुरा पड़ोस में नरसंहार के बाद एक भीड़, जिसमें कथित तौर पर उत्तर प्रदेश प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) के कर्मी शामिल थे। उन्होंने केंद्र से लगभग 10 किमी पश्चिम में स्थित एक गाँव मलियाना में हमला किया और कई लोगों को मार डाला। कथित तौर पर पीएसी कर्मियों ने उनकी हिरासत में कम से कम 38 मुसलमानों को गोली मार दी। इस मामले में पीएसी के 16 पूर्व कर्मियों को अक्टूबर 2018 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने "लक्षित हत्या" के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मौजूदा मामले की अगली सुनवाई आगामी 14 अगस्त 2023 को सूचीबद्ध की गई है।
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