Pithoragarh News : मौत के साथ सीने में दफन हुआ चार हत्याओं का राज, पेड़ से लटकता मिला आरोपी संतोष का शव

Pithoragarh News : मौत के साथ सीने में दफन हुआ चार हत्याओं का राज, पेड़ से लटकता मिला आरोपी संतोष का शव

पिथौरागढ़, अमृत विचार। चार हत्याओं को अंजाम देकर फरार हुए संतोष का चार दिनों बाद सोमवार को शव मिलने के बाद इन हत्याओं का असल राज भी हमेशा के लिए संतोष के सीने में दफन हो गया। हालांकि, पुलिस अधिकारी अभी जांच की बात कह रहे हैं। यह भी संभव है कि जान देने से पहले संतोष ने कोई सुसाइड नोट तो नहीं छोड़ा था। पुलिस अधिकारी अभी सुसाइड नोट न मिलने की बात कह रहे हैं। 

चार को उतारा था मौत के घाट...

गंगोलीहाट क्षेत्र के बुरसम गांव निवासी संतोष राम ने बीती शुक्रवार की सुबह धारदार हथियार से अपनी ताई हेमंती देवी, तहेरी बहन और भाभी को गला रेतकर मौत के घाट उतार दिया था। यही नहीं, संतोष ने अपनी पत्नी चंद्रा देवी की भी गला घोंटकर हत्या कर दी थी। जिस घर से चंद्रा का शव बरामद हुआ था, उसे संतोष ने हाल में खरीदा था। 

खोजबीन में जुटी रही पुलिस लेकिन...

चौहरे हत्याकांड को अंजाम देने के बाद से संतोष पुलिस के हाथ नहीं आया। पुलिस, एसएसबी और एसडीआरएफ की 60 सदस्यीय टीम ड्रोन और डॉग स्वाक्ड से उसकी खोजबीन में लगी थी। हालांकि, पुलिस अधिकारियों को अंदेशा था कि कहीं संतोष ने नहर में तो छलाग नहीं लगा दी। ऐसा इसलिए कि संतोष ने घटना के बाद अपनी मां को फोन कर कहा था कि अब मैं भी जान दे दूंगा। 

एसपी पिथौरागढ़ लोकेश्वर सिंह ने रविवार को कहा था कि हम रामगंगा नदी के किनारे भी आरोपी संतोष की तलाश कर रहे हैं। अंदेशा है कि आरोपी ने कहीं नदी में छलांग न लगाई हो।

अब सच जानना बना चुनौती...

पुलिस के लिए कल तक संतोष को गिरफ्तार करना चुनौती बना था तो अब सोमवार को संतोष का शव पेड़ से लटकता मिलने के बाद पुलिस के लिए यह सच जानना चुनौती बन गया है कि आखिर संतोष ने तीन हत्याओं के बाद पत्नी को भी क्यों मार डाला था। क्या यह महज सनकपन था, पारिवारिक विवाद था या कोई खास रंजिश थी। 

पुलिस के सामने यह भी बड़ा सवाल है कि जब संतोष का विवाद अपने ताऊ के परिवार से था तो फिर पत्नी की हत्या क्यों की। खास बात यह है कि संतोष का शव जिस जंगल से मिला, वह घटनास्थल बुरसम गांव से करीब 6 घंटे की पैदल दूरी पर है और गांव से जंगल तक कोई सड़क भी नहीं है। 

पुलिस की यह है थ्योरी

एसपी पिथौरागढ़ के अनुसार, संतोष के पिता और ताऊ छोलिया ग्रुप एक साथ चलाते थे। हालांकि, किन्हीं वजहों से संतोष इस ग्रुप से अलग करने के कारण खिन्न था। जिस दिन हत्याएं हुईं, उससे 4-5 दिन पहले से लगातार संतोष और उसके ताऊ के परिवार के बीच विवाद चल रहा था। संतोष न सिर्फ झगड़ालू किस्म का था, बल्कि ग्रामीणों के मुताबिक वह सनकी भी था। हत्या के चश्मदीद गवाहों के तौर पर संतोष की 2 बच्चियां व कुछ ग्रामीण हैं, जिनसे हत्या का सही कारण पता चल पाएगा।

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