देहरादून: कश्मीर की पश्मीना असली है नकली... इसके लिए अब देहरादून में बनी देश की पहली लैब देगी Certificate

Amrit Vichar Network
Published By Bhupesh Kanaujia
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देहरादून, अमृत विचार। पश्मीना शॉल और अन्य उत्पादों के सर्टिफिकेशन के लिए देहरादून स्थित वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) में देश की पहली लैब स्थापित हो चुकी है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने इसका उद्घाटन किया। इसके अलावा रेलवे ट्रैक पर हाथियों को बचाने के लिए विशेष पोर्टल की भी शुरुआत की।

केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि पश्मीना प्रमाणन लैब से जम्मू कश्मीर के हस्तशिल्प उद्योग को नई ऊर्जा मिलेगी। साथ ही रेलवे के साथ हाथियों की जान बचाने के उद्देश्य से जो पोर्टल बनाया गया है, उससे भी भविष्य में अच्छे परिणाम मिलेंगे।

लैब इंचार्ज डॉ. संदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि पश्मीना में मिलावट के उत्पाद भी बाजारों में बिक रहे हैं। इससे पश्मीना के उत्पाद बनाने वाले और पश्मीना बकरी पालकों को नुकसान होता है। साथ ही जो उत्पाद विदेशों में भेजे जाते हैं यदि उनमें मिलावट होती है तो इससे भारत की छवि भी खराब होती है। एक भी उत्पाद में मिलावट मिलने पर बंदरगाहों और एयरपोर्ट पर सारा माल रोक दिया जाता है। ऐसे में अब पश्मीना के उत्पादों की संस्थान में स्थापित लैब में जांच की जाएगी। शुद्ध उत्पाद को एक विशेष कोड दिया जाएगा। कश्मीर में बने सभी उत्पादों की यहां जांच की जाएगी।


बताया कि पश्मीना की आड़ में तिब्बत में पाए जाने वाले जानवर चीरू की ऊन से भी उत्पाद बनाए जाते हैं। इसके लिए इस जानवर का शिकार किया जाता है। यह जानवर तिब्बत के पठारों पर पाया जाता है। इसकी गुणवत्ता पश्मीना से भी अच्छी होती है, लेकिन यह प्रतिबंधित जानवर है। विदेशों में भी इसके उत्पादों पर प्रतिबंध है। ऐसे में जब प्रमाणन की व्यवस्था शुरू हो जाएगी तो इसमें भेद हो सकेगा कि यह चीरू की ऊन से बना है या फिर पश्मीना की। इससे जब देश में ही चीरू की ऊन से बने उत्पाद पकड़े जाएंगे तो इस जानवर का भी संरक्षण हो सकेगा।