Kanpur: वाहन खरीदा नहीं और बैंक के हो गए कर्जदार, शहर में फर्जी कार लोन कराने वाले ठग सक्रिय, इस तरह से बनाते शिकार

कानपुर में फर्जी कार लोन कराने वाले ठग सक्रिय।

Kanpur: वाहन खरीदा नहीं और बैंक के हो गए कर्जदार, शहर में फर्जी कार लोन कराने वाले ठग सक्रिय, इस तरह से बनाते शिकार

कानपुर में फर्जी कार लोन कराने वाले ठग सक्रिय हो गए। दूसरों के कागजातों में फोटो लगाकर लोन करा देते है।

कानपुर, [कुशाग्र पांडेय]। कौशलपुरी निवासी विधि के छात्र जगत कुमार नाम पर बैंक ऑफ इंडिया से 10 लाख रुपये का कार लोन ले लिया गया। उनके नाम से कार खरीद ली गई और उनको पता ही नहीं चला। जब बैंक कर्मी किश्त न जमा होने पर घर पहुंचे, तब उनको फर्जीवाड़े का पता चला।

इसी तरह बीते सप्ताह कल्याणपुर निवासी मुकेश घर बैंक कर्मी पहुंचे तो उनको पता चला कि उनके नाम पर कार लोन लिया गया है। किसी ने उनके दस्तावेज पर अपनी फोटो लगाकर स्कार्पियों कार निकलवाई है। उनके नाम लोन लिया गया और उनको पता नहीं चला। अब मुकेश थाने के चक्कर लगा रहे है। 

यह दोनों मामले तो बानगी है। शहर में हर साल सैकड़ों लोग फर्जी कार लोन का शिकार हो जाते है। उनके जानकारी के बिना ही बैंक लोन पास कर देता है। इसे संयोग कहेंगे या फिर सेटिंग। क्योंकि अगर कोई सामान्य तरीके से लोन लेने जाता है तो बैंक के चक्कर लगाते-लगाते उसकी चप्पल घिस जाती है। वहीं, इन जैसे ठग फर्जी कागजात पर ही लोन पास करा लेते है। इस तरह के फर्जी लोन से बैंकों को जबरदस्त घाटा हो रहा है। यह खेल कानपुर में ही नहीं, बल्कि पूरे यूपी में चल रहा है। 

इस तरह से होता है कार लोन का फर्जीवाड़ा

शहर में फर्जी कार लोने कराने वाले कई गिरोह सक्रिय है। इनकी कार शोरूम से लेकर बैंक की शाखाओं में सेटिंग रहती है। इस गिरोह के गुर्गे सामाजिक सेवा के नाम पर कालेज से लेकर ग्रामीण इलाकों में घूमकर लोगों से संबंध बनाता है। फिर विश्वास जीतने के बाद किसी काम के बहाने आधार कार्ड और पैन कार्ड की जानकारी जुटा लेते है। वे आधार कार्ड और पैन कार्ड में दूसरे की फोटो लगाकर फर्जी आईटीआर बनवाते है और फिर उसके जरिए कार लोन पास करा लेते है। बैंक लोन देने से वाले आवेदन करने वाले की पूरी जानकारी हासिल करती है। इसके लिए बैंक से दस्तावेज को चेक करने के लिए आवेदन करने वाले घर पर कर्मी जाता है, लेकिन इन ठगों की इतनी इतनी तगड़ी सेटिंग रहती है कि कोई भी न तो घर जाता है और न ही कोई कागजात चेक किए जाते है। यह गिरोह अब तक सैकड़ों कार लोन ले चुका है। 

नोटरी कर दूसरे प्रदेश में बेच देते है कार 

यह गिरोह कम से कम शुरुआती पैसा देने के बाद फर्जीवाड़ा कर लोन कराता है। इसके बाद शोरूम से कार निकलवा लेता है। यह गिरोह टॉप मॉडल की कार निकलवाता है। इसके बाद यह गिरोह दूसरे प्रदेशों में जाकर कार को बेच देता है। बैंक से एनओसी न मिलने से यह गिरोह कार को ट्रांसफर करने की लिखापढ़ी नहीं कर पाता है। इसलिए यह गिरोह 100 रुपये के स्टांप पर लिखापढ़ी कर पैसे लेकर कार को बेच देता है। यह गिरोह उन्हीं लोगों को कार बेचता है जो दबंग होते है। ये लोग शोरूम से निकली गाड़ी को आधे रेट में बेचते है। तभी दबंग प्रवृत्ति के लोग कम दाम में कार खरीद कर अपना शौक पूरा कर लेते है। इसके बाद वे आगे कार को बेच देते है। 

किश्त अदा न करने पर खुल जाता है फर्जीवाड़ा

यह गिरोह लोन कराकर कार लेता है। इसके बाद यह गिरोह जिसको भी कार बेचता है, उसे तीन किश्ते अदा करने की शर्त रखता है। यह शर्त मंजूर होने पर ही नोटरी के जरिए कार बेचते है। चूंकि शुरुआती तीन किश्त अदा न होने पर बैंक से कोई न कोई कर्मी लोन लेने वाले के घर पहुंच जाता है। इसलिए ये ठग यह शर्त रखने है। जब तीन किश्त अदा हो जाती है, उसके बाद किश्त बाउंस होती है तो यह मामला बैंक की रिकवरी टीम के पास पहुंचता है। यह टीम कार को ग्राहक से लेकर वापस यार्ड पर लाने का ठेका देती है। चूंकि यह गिरोह दबंग प्रवृत्ति के लोगों को कार बेचता है। ऐसे में ठेकेदार गाड़ी नहीं ले पाता है। 

फर्जीवाड़ा खुलने पर ही होती है एफआईआर

जब इनका फर्जीवाड़ा खुलता है तो जो फर्जीवाड़ा का शिकार होने वाला ही रिपोर्ट दर्ज करता है, वो भी फोटो के आधार पर। कई बार जिसकी फोटो लगी होती है, उसकी पहचान नहीं हो पाती है। इस स्थिति पुलिस जांच बंद कर फाइल को दाखिल दफ्तर कर देती है। कुछ दिनों तक बैंक के एजेंट भी थाने के चक्कर लगाते है और फर्जीवाड़े का शिकार होने वाला शख्स। पीड़ित एफआईआर कराकर बच जाता है। नुकसान र्सिफ बैंक का होता है।

पहले भी पकड़ा जा चुका है फर्जीवाड़ा

बैंक ऑफ बड़ौदा की पनकी शाखा में इस तरह का फर्जीवाड़ा पकड़ा जा चुका है। वहां पर हाइवे चिकन, बीटी कार्पोरेशन समेत 19 फर्मों को लोन दिया गया गया था। इनमें ज्यादातर फर्म को कार लोन दिया गया था, जो अदा नहीं किया गया है। इस तरह अन्य बैंकों में भी फर्जी लोन के मामले पकड़े जा चुके है। 

र्सिफ सरकारी बैंक से कराते है लोन

इस तरह के गिरोह र्सिफ सरकारी बैंक से लोन कराते है। वे निजी बैंक से लोन नहीं कराते है। इसके पीछे की वजह है कि निजी बैंक में ज्यादा कड़ाई से बरती जाती है। वहां पर फर्जीवाड़ा होने पर मैनेजर को नौकरी से हटा दिया जाता है, जबकि सरकारी बैंक में एक लंबी प्रक्रिया चलती है। यह गिरोह ज्यादातर उन्हीं बैंकों से लोन कराते है। जहां पर मैनेजर उम्र सेवानिवृत्ति के करीब होती है। अभी तक निजी बैंक से जुड़ा एक भी मामला सामने नहीं आया है। यह इसका प्रमाण है। 

विजिलेंस टीम को स्थानांतरित कर दिए जाते है

इस तरह का फर्जीवाड़ा सामने आने पर बैंक उस मामले को विजिलेंस टीम को स्थानांतरित कर देती है। विजिलेंस टीम के पास पहले से ही बड़े लोन के मामले होते है। ऐसे में इन मामलों में ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। बैंक के लोग पूरी ईमानदारी और लगन से काम करते है। कुछ लोग होते है जो सिस्टम में घुसे होते है और कुछ न कुछ फायदा उठा लेते है। बैंक कर्मी और एजेंट लोन पर काम करते है। एजेंट से कभी भी चूक हो जाती है। प्राइवेट बैंक फर्जीवाड़ा छुपा लेती है। तभी उनके फर्जीवाड़े सामने नहीं आते है। 
रजनीश गुप्ता, कर्मचारी नेता 

यह सावधानी बरतें

- अपने दस्तावेज और उसकी फोटोकॉपी किसी को न दें
- आपको किसी कंपनी या अन्य जगह दस्तावेज लगाने हो तो खुद जाकर लगाए
- किसी को फोन पर भी दस्तावेज शेयर न करें
- होटल या अन्य जगहों पर दस्तावेज देने के बाद उसको पेन से क्रास कर दें
- मोबाइल पर किसी बैंक का ओटीपी आने पर शाखा जाकर संपर्क करें