बाराबंकी में नहर के इस हिस्से में कभी आया ही नहीं पानी, अपना साधन अपनाने को मजबूर हैं किसान

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Published By Jagat Mishra
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बनीकोडर/ बाराबंकी, अमृत विचार। कभी दर्जनों ग्राम पंचायतों की लाइफ लाइन कही जाने वाली शारदा सहायक नहर से निकली नवाबगंज रजबहा महज सफेद हाथी साबित हो रही है। कहने को तो किसानों की सुविधा के लिए नहर है लेकिन जमीनी हकीकत इतर है। नहर के अंतिम छोर के लगभग 15 किलोमीटर में पानी अभी तक नही आया है। जिससे मेंथा जैसी नकदी फसल सिंचाई के लिए दूसरे महंगे साधनों से सिंचाई करनी पड़ रही है, पूरी नहर झाडियों से पटी पड़ी है।

बनीकोडर क्षेत्र के कछिया गांव तक नहर का आस्तित्व है। लेकिन किसान राधेश्याम यादव हाजीपुर के मुताबिक कछिया गांव स्थित टेल तक कभी पानी पहुंचा ही नही है। नहर की सफाई न होने व पानी न आने से प्रभावित होने वाले गावों की बात करें तो जरौली, भवनियापुर, किठैया, धनौली खास, सलेमपुर, सूपामऊ, दुल्लापुर, टिकरा, बबुरीगाव, रतौली, हाजीपुर सिल्हौर, दिलावलपुर, धारूपुर आदि ग्राम पंचायतों के सैकड़ो गांव नहर में पानी की आमद न होने से मंहगी सिंचाई के लिए लिए मजबूर है। बड़े किसानों में शुमार धनौली खास निवासी सुनील मिश्रा बताते हैं कि पहले इस नहर से धनौली खास की माइनर से पूरी सिंचाई होती थी। लेकिन दशकों से गांव तक पानी नहीं पहुंचा है। सिर्फ नहर की बात करें तो उसमें भी महीनों से पानी नहीं आया है। 

प्रभाकर बताते हैं कि एक दशक पूर्व इस नहर से करीब दो किलोमीटर दूर मौजूद खेतों में नाली के जरिये भरपूर सिंचाई होती थी लेकिन विभागीय लापरवाही से नहर से सिंचाई सपना हो गई है। मजबूरी में मेंथा किसानों को ट्यूबवेल का सहारा लेना पड़ता है। वहीं अधिशासी अभियंता नहर राजीव कुमार से जब इस मामले को लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह मीडिया को बयान जारी करने के लिये अधिकृत नहीं हैं।


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