मुरादाबाद: तटबंध की बेजान कवायदों में आ गया मानसून का समय
रामगंगा पर तटबंध को 13 साल से जमीन खोज रहे जिम्मेदार, आशियाना कॉलोनी, टीडीआई सिटी के लोगों को है खतरा
(धर्मेंद्र सिंह) मुरादाबाद, अमृत विचार। मानसून के दिन आते ही रामगंगा नदी किनारे बसे लोगों की चिंता बढ़ गयी है। 13 साल पहले शहर में बाढ़ की तबाही के बाद से रामगंगा नदी पर तटबंध के की बात शुरू हुई। बाढ़ नियंत्रण विभाग को बांध बनाने की जिम्मेदारी है। लेकिन तटबंध निर्माण के लिए जमीन की उपलब्धता नहीं हो पाई है। बंधा की मांग करने वाले यहां से हाईकोर्ट तक दौड़ लगा चुके हैं।
चुनावी सभाओं में भी इस मुद्दे पर लोगों की भावना जगाई जा चुकी है। अब अगर बाढ़ आती है तो आशियाना कॉलोनी और टीडीआई सिटी के नागरिकों को दुश्वारी झेलने से कोई बचा नहीं सकता। क्योंकि बाध निर्माण की कवायद कागजों से बाहर नहीं निकल पाई है। बाढ़ नियंत्रण विभाग 2010 से रामगंगा नदी पर तटबंध बनाने का प्रयास कर रहा है। मुरादाबाद विकास प्राधिकरण और नगर निगम से लगातार जमीन की मांग की जा रही है। हर वर्ष मानसून के आने से पहले प्रशासनिक अधिकारी रामगंगा नदी पर तटबंध बनाने की योजना तैयार करने लगते हैं।
बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता अजय प्रताप सिंह कहते हैं कि 2010 में आई बाढ़ के बाद से मुरादाबाद विकास प्राधिकरण और नगर निगम को गंगा किनारे 12 किलोमीटर के क्षेत्र में आशियाना कॉलोनी, टीडीआई सिटी में चक्कर की मिलक, बंगला गांव, दसवां घाट, नवाबपुरा, लालबाग, हाथी वाले मंदिर से कटघर पुल तक जमीन देनी थी, जो अभी तक नहीं मिल पाई है। मुरादाबाद आए जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कई बार तटबंध बनाने की बात मंच पर कही थी। प्राधिकरण और नगर निगम जमीन नहीं दे पाया है। हालांकि इसके लिए कई सामाजिक संगठन और शहर की कुछ हस्तियां भी तभी से निरंतर किए जा रहे प्रयास के लिए न्यायालय तक पहुंच गई हैं।
बाढ़ से बचाव की तैयारी में जुटा विभाग
इस मुहिम में कई सामाजिक संगठन भी काम कर रहे हैं। हालांकि बाढ़ खंड विभाग ने मानसून से पहले अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए 15 जून से 31 अक्टूबर तक के लिए बाढ़ खंड कार्यालय में हरिद्वार से लेकर रामपुर तक की बाढ़ से संबंधित जानकारी लेने के लिए कंट्रोल रूम बनाया जाएगा। सुभाष चंद्रा सहायक अभियंता बाढ़ उपखंड द्वितीय कंट्रोल रूम की कमान संभालेंगे। बाढ़ की सूचना देने के लिए लैंडलाइन नंबर 0591,243597 जारी किया गया है।
2010 में आई बाढ़ से मची थी तबाही
मुरादाबाद। 2010 में बाढ़ का पानी साईं मंदिर तक पहुंच गया था। लोगों के कीमती सामान पानी में बह गए थे। कई दिनों तक रामगंगा विहार और आशियाना कॉलोनी की सड़कों पर बाढ़ का पानी भरा रहा था। प्रशासनिक अधिकारियों को कॉलोनियों में भ्रमण के लिए स्टीमर और नाव का सहारा लेना पड़ा था। पुराने शहर के मोहल्लों में बाढ़ के पानी से हुई तबाही में 13 साल पहले उजाड़ी बस्तियों के लोग कई सालों से उसकी भरपाई नहीं कर पाए थे। हालांकि उस समय प्रशासन ने पहले सूचित करके नदी के तट पर बसे लोगों से मकान तो खाली करा दिए थे। लेकिन, रोजमर्रा की जिंदगी का सामान पानी में बह गया था। अभी भी रामगंगा नदी क्षेत्र में रहने वाले हजारों लोगों को बाढ़ का खतरा सताता है। हालांकि अब आशियाना कॉलोनी और टीडीआई सिटी के लोगों के लिए ज्यादा खतरा माना जा रहा है।तटबंध निर्माण के लिए जमीन मुहैया नहीं करा सका है। अब बाढ़ आती है तो आशियाना कॉलोनी और टीडीआई सिटी के नागरिकों को दुश्वारी झेलनी पड़ेगी।
बाढ़ से हुई तबाही से लोगों का बहुत नुकसान हुआ था। कुछ लोगों के सिर पर छत नहीं रही थी। पंद्रह से बीस दिन घरों में पानी भरा रहा था। लोग घर की छतों पर खाना बना रहे थे। सब कुछ छत पर करना पड़ा रहा था। रामगंगा नदी पर तटबंध बनने से लोगों को बाढ़ के पानी से राहत मिलेगी। कई साल से तटबंध बनने की बात सुनते आ रहे हैं। तटबंध नहीं बना तो बाढ़ के उस खौफनाक मंजर से लोगों को फिर गुजरना पड़ेगा। -प्रताप प्रजापति, निवासी नवाब पुरा छड़ियों का मैदान
जब मैं बहुत छोटा था। तब बाढ़ आई थी। हम सब घर की छत पर रहते थे। हमारे घेर में पलने वाली भैंस बाढ़ के पानी में छप्पर समेत बह गई थी। बीस दिन बाद जब पानी उतरा तो घेर की जगह बड़ा सा गड्ढा बन गया था। उस वक्त रामगंगा नदी में स्टीमर और नाव से अधिकारी खाना पहुंचाते थे। रामगंगा किनारे बसी बस्तियों में तटबंध बनने के बाद हजारों लोगों सुरक्षा की जिंदगी जी सकेंगे। -मुकेश कुमार, लाल बाग निवासी
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