बरेली: कोरोना काल से ली सीख, औषधीय खेती को मिला बढ़ावा

जिले में लेमन ग्रास, खस, अश्वगंधा, तुलसी, सफेद मूसली की बड़े पैमानी पर किसान कर रहे हैं खेती

बरेली: कोरोना काल से ली सीख, औषधीय खेती को मिला बढ़ावा

बरेली, अमृत विचार। कोरोना काल ने औषधीय पौधों की अहमियत को बढ़ा दिया है। इस महामारी के बाद से एक तरफ जहां सभी लोग अपनी सेहत पर पहले से ज्यादा ध्यान देने लगे हैं। वहीं, दूसरी तरफ लोगों ने खेतीबाड़ी के तरीके बदल दिए हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखने में सहायक मानी जाने वाली औषधीय खेती के प्रति किसानों का रुझान लगातार बढ़ रहा है।

ढाई साल में जिले में औषधियों की खेती का रकबा 30 प्रतिशत तक बढ़ा है। इस खेती से लाभ कमाकर किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं। उद्यान विभाग के अधिकारी बताते हैं कि एक समय था जब जिले में औषधि की खेती शायद ही कोई किसान करता था, लेकिन कोराेना काल के बाद से जिले के किसानों का लेमन ग्रास, खस, अश्वगंधा, तुलसी, शतावर, सफेद मूसली, गूलर, लहसुनी आदि औषधीय पौधों की खेती के प्रति रुझान तेजी से बढ़ रहा है। इधर, उद्यान विभाग के साथ ही कृषि विभाग किसानों को औषधीय खेती करने के लिए जागरूक कर रहा है। अफसरों का दावा है पारंपरिक फसलों की खेती के मुकाबले इसमें लाभ कई गुना अधिक होता है

अफसर बोले- इन औषधीय पौधों से होगी कमाई
अब लोग इम्युनिटी मजबूत करने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का बहुतायत में प्रयोग करने लगे हैं। वहीं, तमाम औषधीय फूलों और फलों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में किया जाता है। इसमें आंवला, नीम और चंदन महत्वपूर्ण हैं। यह पौध रोपाई के बाद पहले पेड़ का रूप लेते हैं और आगे चलकर इनकी पत्तियां, खाल, फूल, फल, जड़ और तना जैसे तमाम हिस्सों का इस्तेमाल दवाओं में किया जाता है। हालांकि इसमें कमाई लंबे समय में होती है।

औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए शासन से अनुदान के दिशा-निर्देश आते हैं। कोई किसान औषधि खेती करना चाहता है तो वह उद्यान विभाग के कार्यालय आकर संपर्क कर सकता है-पुनीत पाठक, जिला उद्यान अधिकारी।

कोरोना काल के बाद किसान परंपरागत खेती के अलावा औषधीय और जड़ी-बूटियों की तरफ अपना रुख कर रहे हैं। पारंपरिक फसलों की खेती के मुकाबले इसमें लाभ भी कई गुना अधिक है। डा. आरके तिवारी, प्रोफेसर व डीन, रोहिलखंड आयुर्वेदिक कॉलेज आंकड़ों की नजर से

2750 हेक्टेयर क्षेत्रफल में उगाई जा रही औषधि

2000 जिले के किसान औषधि की खेती से जुड़े हैं

12 से 20 हजार रुपये आती है प्रति हेक्टेयर की लागत

5 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक औषधि की खेती से मुनाफा

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