नये रोगाणुओं के निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी: मांडविया
हैदराबाद। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार को कहा कि नये रोगाणुओं से निपटने के लिए टीकों के विकास की प्रक्रिया को रफ्तार देने के वास्ते अंतरराष्ट्रीय सहयोग बेहद जरूरी है और जी20 जैसे समूह सरकारों, अनुसंधान संगठनों, दवा कंपनियों और अन्य हितधारकों के बीच सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम कर सकते हैं।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, मांडविया ने ‘टीका अनुसंधान एवं विकास : भविष्य में स्वास्थ्य आपात स्थितियों की रोकथाम, तैयारियों और प्रतिक्रिया के लिए आम सहमति बनाना’ विषय पर आयोजित वैश्विक टीका अनुसंधान सहयोगात्मक चर्चा को संबोधित कर रहे थे।
यह चर्चा फार्मास्युटिकल्स विभाग (रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय) द्वारा भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत आयोजित किया गया था। मांडविया ने कहा, “कोविड-19 महामारी ने टीका अनुसंधान और विकास में वैश्विक सहयोग के महत्व को रेखांकित किया है। अब जबकि हम सदियों में एक बार आने वाले ऐसे सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से निपटने के उपाय तलाश रहे हैं, हम टीकों के विकास में तेजी लाने के लिए अनुसंधान के महत्व को महसूस कर रहे हैं, खासतौर पर नये उभरते रोगाणुओं के संबंध में।”
टीका अनुसंधान एवं विकास में भारत के दशकों लंबे योगदान को रेखांकित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि टीके के उत्पादन और वितरण में अग्रणी होने के नाते भारत इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में अधिक वैश्विक सहयोग कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा, “प्रभावी टीकों का विकास और उपलब्धता महामारी के प्रभाव को कम करने में मददगार साबित हो सकता है और हमें इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अनुसंधान प्रयासों को प्राथमिकता देनी चाहिए।”
टीका उत्पादन और वितरण को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों के बारे में बताते हुए मांडविया ने कहा कि सरकार ने टीका निर्माताओं को उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया है और नियामक प्रक्रियाओं को भी सुव्यवस्थित बनाया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अन्य स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों के मौजूदा बुनियादी ढांचे का लाभ उठाकर ग्रामीण क्षेत्रों में टीकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए हैं।
मांडविया ने कहा कि भारत का कोविड-19 टीकों के उत्पादन और वितरण में अग्रणी होना वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि टीकों की समान उपलब्धता आवश्यक है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि हर किसी को उसकी आय या राष्ट्रीय पहचान से इतर, जीवनरक्षक टीकों तक समान पहुंच हासिल हो।”
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