मुरादाबाद : जिले में सिर्फ 51.52 प्रतिशत महिलाएं साक्षर

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Published By Priya
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बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के सरकार के दावे और प्रयास, हकीकत इससे अलग, प्रशासन का दावा- बेटियों की शिक्षा के लिए अभिभावक नहीं हैं गंभीर

विनोद श्रीवास्तव, मुरादाबाद, अमृत विचार। विश्व विख्यात पीतलनगरी में महिला शिक्षा की स्थिति चिंताजनक है। देश की आजादी के 76 वर्ष होने पर भी जिले में आधी आबादी सिर्फ 51.52 फीसदी ही साक्षर है। हालांकि 2011 की जनगणना के आंकड़े के अनुसार, यहां की साक्षरता दर 60.54 प्रतिशत है। जिसमें पुरुष साक्षरता दर बेहतर है। 68.87 प्रतिशत पुरुष साक्षर हैं। लेकिन, महिलाओं की दयनीयता की स्थिति का अंदाजा इससे लगता है कि आज के दौर में यहां केवल 51.52 महिलाएं ही साक्षर हैं। जबकि केंद्र और प्रदेश सरकार बालिका शिक्षा और नारी सशक्तीकरण के तमाम दावे कर रही है। 
 
जिले में उच्च शिक्षा खासकर लड़कियों के लिए खास प्रबंध न होने के कारण उनका भविष्य सुरक्षित करने में बाधा डालती है। साक्षरता दर बढ़ाने के लिए प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा की दिशा में अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। प्रदेश सरकार ने मुरादाबाद में सरकारी विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा भले ही की है। लेकिन अभी धरातल पर कदम नहीं बढ़े हैं। महानगर में उच्च शिक्षा के चंद केंद्र हैं। जिसमें बालिका शिक्षा के लिए दयानंद आर्य गर्ल्स डिग्री कॉलेज, गोकुलदास गर्ल्स डिग्री कॉलेज और मुस्लिम गर्ल्स डिग्री कालेज है। यहां भी उम्मीद के मुताबिक उच्च शिक्षा के लिए बालिकाएं प्रवेश नहीं लेती हैं। शिक्षाविद मानते हैं कि अभिभावक भी बालिका शिक्षा के प्रति संजीदा नहीं हैं। वह चाहते हैं कि बेटियां काम चलाने भर की पढ़ाई करें। 

जिले में यूपी बोर्ड के हैं 437 माध्यमिक स्तर के कॉलेज : जिले में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के 437 इंटर कॉलेज हैं। जिसमें तीन लाख से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं।
 
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा से संबंधित सुविधाएं सरकार की ओर से दी जा रही हैं। लेकिन फिर भी जिले में महिला साक्षरता की स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं है। आधी आबादी की शिक्षा के प्रति गंभीरता दिखाने पर ही समाज को नई दिशा मिल सकती है। इसके अलावा सीबीएसई और आईसीएसई के 65 स्कूल कॉलेज हैं। इसमें लड़कों की संख्या अधिक है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी-बुद्ध प्रिय सिंह का कहना है कि  साक्षरता दर बेहतर करने के लिए मिलकर प्रयास की जरूरत है। प्राथमिक स्तर पर बालिका शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ड्राप आउट बच्चियों का पुन: प्रवेश कराने के लिए सर्वे में अभिभावकों को प्रोत्साहित किया जाता है। 

प्राथमिक स्तर पर ड्रॉप आउट की समस्या गंभीर
जिले में बेसिक शिक्षा परिषद के 1402 विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में 2.18 लाख छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन, छात्राओं की पढ़ाई बीच में छोड़ने की समस्या गंभीर है। ड्राप आउट और आउट ऑफ स्कूल वाली छात्राओं को शिक्षा की मुख्य धारा में लाने के लिए शासन की ओर से समय-समय पर आदेश-निर्देश जारी होते हैं। जरूरत है इसे गंभीरता से लागू कराने की।

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जिले में कुल साक्षरता प्रतिशत 60.54 है। इसमें महिलाएं 51.52  फीसदी साक्षर हैं। जबकि पुरुष साक्षरता दर साक्षरता 68.87 प्रतिशत है। महिला साक्षरता की स्थिति में और सुधार की जरूरत है। क्योंकि शिक्षित महिला एक नहीं, दो परिवार को शिक्षा की रोशनी दिखा सकती हैं। -मोहम्मद परवेज, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी

कुटीर उद्योग की तरफ यहां के लोगों का रुझान अधिक है। गरीब वर्ग पढ़ाई से अधिक रोजगार को प्राथमिकता देता है। विद्यालयों में सुविधाएं तो हैं, लेकिन अभिभावक संजीदा नहीं हैं। बेटियों की शिक्षा के लिए समाज और अभिभावकों को जागरूक होने की जरूरत है। - शैलेंद्र कुमार सिंह, जिलाधिकारी

 यूपी बोर्ड के 437 माध्यमिक स्तर के कॉलेज हैं, जबकि सीबीएसई व आईसीएसई के 65 इंटर तक के शिक्षण संस्थान हैं। बालिका शिक्षा को विशेष रूप से प्रोत्साहित करने का प्रयास रहता है। भविष्य में इसमें और बेहतरी के लिए काम कराएंगे। -डॉ. अरुण कुमार दुबे, जिला विद्यालय निरीक्षक

नई शिक्षा नीति व छात्रवृत्ति योजना में कमियां, आर्थिक विपन्नता जिले में महिला शिक्षा में बाधा है। अभिभावकों व  छात्राओं को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित किया जा रहा है। अभिभावकों की बैठक में छात्राओं को कक्षाओं में आने के लिए कहा जाता है। - प्रोफेसर चारू मेहरोत्रा, प्राचार्य, गोकुलदास हिंदू गर्ल्स कॉलेज

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