बरेली: 6.14 लाख पशुओं पर मंडरा रहा गलाघोंटू का खतरा

शासन से जिले में 7.54 लाख पशुओं के सापेक्ष विभाग को महज 1.39 लाख डोज मिली सीवीओ बोले, अभियान चलाकर पशुपालकों को बीमारी के रोकथाम के लिए किया जागरूक

बरेली: 6.14 लाख पशुओं पर मंडरा रहा गलाघोंटू का खतरा

बरेली, अमृत विचार: पशुओं के लिए जानलेवा साबित होने वाले गलाघोंटू की बीमारी से बचाव को लेकर वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में नहीं है। जिले के 7.54 लाख पशुओं को बीमारी से बचाना है लेकिन पशु चिकित्सा विभाग को सिर्फ 1.39 लाख वैक्सीन ही मिली है। ऐसे में सभी पशुओं को इस संक्रमण से बचाने की बड़ी चुनौती होगी। वहीं, समय से अगर पशुपालक टीकाकरण से चूके तो 6.14 लाख पशुओं के बीमार होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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पशुपालन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि बारिश का सीजन शुरू होने के बाद पशुओं में कई प्रकार की संक्रामक बीमारियां फैलती हैं। इसमें गलाघोंटू बीमारी प्रमुख है, जो पशुओं के लिए जानलेवा मानी जाती है। बीमारी फैलने से पहले रुके और पशुओं की मौत न हो इसलिए शासन ने बारिश से पहले ही 7.54 लाख में से 1.39 लाख वैक्सीन भेजकर पशुओं को लगाने का निर्देश दिया है।

इसमें बुधवार तक 77 हजार पशुओं को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। सीवीओ डाॅ. मेघश्याम ने बताया कि जुलाई तक अभियान चलना है। पहले चरण में मिली वैक्सीन खत्म होने से दूसरे चरण में वैक्सीन मिलने की उम्मीद है। पशुपालकों से अपील कि वह गांव में लगने वाली शिविर में पशुओं को वैक्सीन अवश्य लगवाएं। अगर कैंप नहीं लगता है तो पशु पालक खुद अपने क्षेत्र के पशु चिकित्सालय के चिकित्सक से संपर्क करें।

पहले बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में होगा टीकाकरण: पशुपालन विभाग के मुताबिक लक्ष्य के सापेक्ष वैक्सीन कम आने की वजह से पहले बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में टीकाकरण शुरू किया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से करीब 300 गांव चिन्हित किए गए हैं। उसके बाद गोशालाओं में निवास कर रहे पशुओं को वैक्सीन की डोज दी जाएगी। इधर, मानसून करीब है।

लेकिन अभी तक अधिकांश क्षेत्र में वैक्सीन लगने की शुरुआत नहीं हो सकी हैं। इससे पशुपालकों की चिंता बढ़ गई है। हालांकि विभागीय अफसर दावा कर रहे हैं कि समय पर यदि वैक्सीन मिलती है तो निर्धारित समय में टीकाकरण का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।

रोग के लक्षण: सीवीओ डॉ. मेघश्याम बताते हैं कि इस रोग से ग्रस्त पशु को अचानक तेज बुखार होता है। पशु सुस्त रहने लगता है और खाना-पीना छोड़ देता है। पशु की आंखें भी लाल रहने लगती हैं। उसे सांस लेने में भी दिक्कत होती है। उसके मुंह से लार गिरने लगती है। नाक से स्त्राव बहना तथा गर्दन व छाती पर दर्द के साथ सूजन आना गलाघोंटू रोग के मुख्य लक्षण हैं।

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