बरेली: करोड़ों के उपकरणों की चोरी... अब तो भूल ही जाइए
बरेली, अमृत विचार। जब यही तय न हो कि सरकारी माल की चोरी की जांच करने वालों की कहीं खुद तो चोरों से साठगांठ नहीं है तो जांच का वही हश्र होता है जो तीन सौ बेड अस्पताल से करोड़ों के सामान की चोरी का हुआ। कई सालों में कई बार जोर पकड़ने के बावजूद यह जांच आज तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। इस साल की शुरुआत में पूर्व कमिश्नर संयुक्ता समद्दार की ओर से जांच पूरी करने के लिए 15 दिन की सीमा निर्धारित की गई थी लेकिन फिर भी यह चोरी जांच की दिखावटी जोर-आजमाइश में दबी रह गई।
तीन सौ बेड अस्पताल को सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनना था लेकिन सरकारी चोरों ने उसकी तमाम व्यवस्थाएं पहले ही मटियामेट कर दीं। 2016 में बना यह अस्पताल चार साल बंद रहने के बाद 2019 में कोविड अस्पताल के तौर पर शुरू हो पाया। इसी दौरान करोड़ों का सामान जिसमें कई महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरण भी यहां भेजे गए। इनका मरीजों को तो लाभ नहीं मिला, उल्टे वे चोरी होने शुरू हो गए। आखिर में जब मिलान किया गया तो पाया गया कि करोड़ों का सामान चोरी हो चुका है।
वर्ष 2020 में तत्कालीन सीएमओ डॉ. वीके शुक्ला ने जांच का आदेश दिया, लेकिन जांच पूरी नहीं हुआ और उनका स्थानांतरण हो गया। जनवरी में तत्कालीन कमिश्नर संयुक्ता समद्दार के आदेश पर एडी हेल्थ डॉ. दीपक ओहरी की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी बनी। इसे एक समयसीमा में जांच पूरी करनी थी लेकिन इस जांच का भी स्टॉक रजिस्टर न मिलने की वजह से हास्यास्पद अंत हो गया। कमिश्नर के ट्रांसफर के बाद फिर मामला दफन हो गया।
घरों में इस्तेमाल होने वाला था ज्यादातर चोरी हुआ सामान
चोरी हुए सामान में चिकित्सा उपकरणों के साथ ज्यादातर सामान ऐसा था जो घरों में इस्तेमाल किया जा सकता था। खासतौर पर दर्जनों एसी गायब हुए थे। इसके अलावा पंखे, अलमारी, बेड, सौ से ज्यादा कुर्सियां, गद्दे, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर जैसे उपकरण और सामान था। बताया जाता है कि एसी कई कर्मचारियों और अधिकारियों के ही आवासों में लग गए लेकिन किसी ने इसकी जांच करने की कोशिश नहीं की।
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