हल्द्वानी: कारागार में निखर रहा हुनर, उजाड़ने वाले बसा रहे बेजुबानों का घर

Amrit Vichar Network
Published By Bhupesh Kanaujia
On

सर्वेश तिवारी, हल्द्वानी,अमृत विचार। सिर तक अपराध में डूब चुके अपराधियों पर कई घरों को उजाड़ने का इल्जाम है, लेकिन उजाड़ने वाले यही हाथ अब गौरेया का घर बना रहे हैं। केवल गौरैया का घर ही नहीं, बल्कि जुर्म को छोड़ने की मन चुके ये अपराधी तमाम मनमोहक उत्पाद बना रहे हैं। जिसमें भगवान का मंदिर भी शामिल है।

अब सरकार भी इनकी मंशा को मुकम्मल मुकाम देने का मन बना चुकी है और राज्य की जेलों को मिनी इंडस्ट्री के तौर पर विकसित किया जा रहा है। 
 

मिनी इंडस्ट्री के लिए बंदी कल्याणकारी संस्था काम कर रही है और राज्य सरकार की सहमति पर उत्तराखंड कारागार श्रम स्वायत्त समिति का गठन भी कर दिया गया। खास बात यह है कि बंदी भी इस समिति का हिस्सा होंगे। मिनी इंडस्ट्री को फौरी मदद के तौर पर सरकार ने 1 करोड़ रुपये देने का वादा भी कर दिया है। फिलहाल, राज्य के कारागारों ने अपने स्तर पर इंडस्ट्री को विकसित करना शुरू कर दिया।

हल्द्वानी उपकारागार के बंदी और कैदी इन दिनों लकड़ी के मंदिर, लकड़ी से बने गौरैया के घर और लड़की का चम्मच स्टैंड बना रहे हैं। इसी जेल में लोहे के कारीगार भी मौजूद हैं, जो अभी गमलों से खूबसूरत स्टैंड तैयार कर रहे हैं। स्टैंड के काम तेजी आए, इसके लिए जेल प्रशासन कुछ मशीनें भी खरीदेगी। इन दोनों कामों के लिए फिलहाल उप कारागार में 10 लोगों को टीम मौजूद है, जो जेल में सजा काट रहे हैं। हरिद्वार और देहरादून के बाद मिनी इंडस्ट्री स्थापित करने वाली तीसरी जेल बनने जा रही है। 


उच्चाधिकारियों के निर्देश पर जेल में उत्पादों के निर्माण का काम शुरू कर दिया गया है। इन उत्पादों को खुले बाजार में लाने की योजना है, लेकिन इससे पहले उत्पादों का जेल के बाहर डिस्प्ले लगाया जाएगा। डिस्प्ले के लिए उच्चाधिकारियों से अनुमति ली जा रही है। 
प्रमोद कुमार पांडे, जेल अधीक्षक, उप कारागार हल्द्वानी


सहकारिता विभाग में रजिस्ट्रेशन, लोन से शुरू हुआ सफर
हल्द्वानी। सरकारी मदद कब मिलेगी, अभी कुछ कहना मुश्किल है। फिलहाल तो जेल प्रशासन ने मिनी इंडस्ट्री के फार्मूले पर काम शुरू कर दिया। जेल प्रशास ने न सिर्फ सहकारिता विभाग में रजिस्ट्रेशन करा दिया है, बल्कि काम को आगे बढ़ाने के लिए बंदी कल्याणकारी योजना से लोन भी ले लिया है। सरकारी मदद मिलने पर इस मद से लिया गया लोन चुका कर दिया जाएगा। 


जेल के बाहर लगेगा डिस्प्ले, फोन पर ऑर्डर दे सकेंगे लोग
हल्द्वानी : बंदियों और कैदियों द्वारा बनाए जा रहे उत्पाद को बाजार देने की योजना भी जेल प्रशासन ने तैयार कर ली है और इसके लिए उच्चाधिकारियों से अनुमति भी ली जाएगी। फिलहाल योजना ये है कि बंदियों और कैदियों द्वारा बनाए गए उत्पाद को जेल के बाहर एक छोटे मैदान में डिसप्ले के तौर पर लगाया जाएगा। भविष्य में उत्पाद का ऑर्डर लेने के लिए एक नंबर भी जारी किया जाएगा। 


नर्सिंग ड्रेस का ऑर्डर पूरा किया, भूगर्भ वैज्ञानियों को दिए बैग
हल्द्वानी : जेल अधीक्षक प्रमोद कुमार पांडेय ने बताया कि हाल में जेल ने थर्ड पार्टी के तौर पर काम किया था। जिसके तहत जेल के बंदियों और कैदियों ने नर्सिंग की 50 ड्रेस बनाई थी और बेस अस्पताल में इसकी डिलीवरी दी गई थी। इसके साथ ही भूगर्भ वैज्ञानियों को रिसर्च के पत्थर रखने के लिए 500 विशेष वैग की आवश्यकता थी, जिसे जेल के बंदियों और कैदियों ने ही बना कर दिया था। 


बाजार में आने से पहले मिलने लगा ऑर्डर, तय किया लाभांश
हल्द्वाीन : बंदी और कैदी लकड़ी के जरिये गौरैया के घोंसले बना रहे हैं और अभी तक इन्हें डिस्प्ले में भी नहीं लगाया गया है, लेकिन गौरैया के घोंसलों का ऑर्डर अभी से मिलने लग गया है। हालांकि जेल प्रशासन अभी ऑर्डर नहीं ले रहा है। बिकने वाले उत्पाद पर लाभांश भी तय कर लिया गया है। सरकारी विभागों से उत्पाद पर 6 और आम लोगों से 12 प्रतिशत का लाभांश लिया जाएगा।