कश्मीरी पंडितों के संगठन ने किया यूसीसी का समर्थन, दोहराई नरसंहार पर रोक के कानून की मांग 

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Published By Om Parkash chaubey
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इंदौर (मध्यप्रदेश)। कश्मीरी पंडितों के संगठन ‘‘पनून कश्मीर’’ के एक प्रमुख पदाधिकारी ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे का बुधवार को समर्थन किया और कहा कि यूसीसी लागू होने पर कश्मीर घाटी में इस समुदाय की "टिकाऊ वापसी" में भी मदद मिलेगी। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल में यूसीसी की पुरजोर वकालत करते हुए सवाल किया था कि ‘‘दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा।’’

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‘‘पनून कश्मीर’’ के संस्थापक संयोजक अग्निशेखर ने प्रधानमंत्री के इस बयान के अगले दिन इंदौर में ‘‘पीटीआई-भाषा’’ से कहा, ‘‘हम यूसीसी का समर्थन करते हैं क्योंकि हम जम्मू-कश्मीर में धर्म और आस्था के आधार पर असमानता और भेदभाव के ही शिकार हुए हैं। हम इसके पक्ष में हैं कि पूरे देश के नागरिकों पर समान कानून लागू होना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि देश में यूसीसी बहुत पहले ही लागू हो जानी चाहिए थी।

उन्होंने कहा, ‘‘यूसीसी लागू होने के बाद कश्मीरी पंडितों की आवाज मजबूत होगी। इससे कश्मीर घाटी में उनकी वापसी और उनके टिके रहने में भी मदद मिलेगी।’’ जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय राजनीतिक दलों द्वारा इस सरहदी सूबे में विधानसभा चुनाव कराने की मांग पर कश्मीरी पंडितों के नेता ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार संसद में एक विधेयक पेश कर कानून बनाए जिसमें नरसंहार एवं अन्य अत्याचारों पर रोक लगाने के प्रावधान हों।’’

उन्होंने बताया कि उनका संगठन कुछ साल पहले केंद्र सरकार और विपक्ष को इस संबंध में मसौदा विधेयक सौंप चुका है। अग्निशेखर ने कहा कि पिछले तीन दशक से कश्मीरी पंडित जम्मू-कश्मीर में अपने समुदाय के नरसंहार और निर्वासन के मुद्दों को उचित सरकारी मान्यता प्रदान किए जाने की मांग कर रहे हैं। अग्निशेखर, मध्य भारत हिन्दी साहित्य समिति का राष्ट्रीय शताब्दी सम्मान ग्रहण करने इंदौर आए थे।

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