कांग्रेस नेता रमेश ने चीता पुनर्वास कार्यक्रम को लेकर सरकार की आलोचना की
नई दिल्ली। पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने चीता पुनर्वास कार्यक्रम के प्रबंधन को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए रविवार को कहा है कि यदि दिखावा करने के बजाय विज्ञान को परियोजना में आगे रखा गया होता तो ‘हमें वर्तमान त्रासदी शायद नहीं देखनी पड़ती।’
‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत ‘रेडियो कॉलर’ लगे 20 चीते नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान लाए गए थे और बाद में नामीबियाई चीता ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया था। इन 24 वन्यजीवों में से तीन शावकों सहित आठ की मौत हो चुकी है। दक्षिण अफ्रीका से लाए गए सूरज नाम के एक नर चीते की 14 जुलाई को मौत हो जाने के साथ इस साल मार्च से श्योपुर जिले में मरने वाले चीतों की कुल संख्या बढ़कर आठ हो गई।
कांग्रेस महासचिव रमेश ने ट्विटर पर एक मीडिया रिपोर्ट साझा की, जिसमें दावा किया गया है कि भारतीय वन्यजीव अधिकारियों ने चीता पुनर्वास परियोजना से जुड़े सभी संबंधित लोगों को मुद्दे पर कुछ भी न बोलने का आदेश दिया है। रमेश ने ट्वीट किया, ‘स्टीफ़न जे. ओ’ ब्रायन एक प्रतिष्ठित आणविक जीवविज्ञानी हैं। वह एक समर्पित संरक्षणवादी भी हैं जो विलुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा के लिए आनुवंशिकी का उपयोग करते हैं। मैंने चीतों के आनुवंशिक इतिहास को समझने के लिए 2009 में उनके साथ काफी समय बिताया था। उनकी पुस्तक दिलचस्प है।’
उन्होंने कहा कि यदि भारत में चीता पुनर्वास परियोजना में दिखावे के बजाय विज्ञान को सबसे आगे रखा गया होता, तो शायद हमें वर्तमान त्रासदी नहीं देखनी पड़ती। रमेश ने आरोप लगाया कि इसके बजाय मोदी सरकार वैज्ञानिकों और वन अधिकारियों को सार्वजनिक तौर पर मुंह बंद रखने का आदेश देने में व्यस्त है।
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