Gyanvapi Case: सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी समिति की याचिका को किया बहाल, जानें पूरा मामला

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Published By Shobhit Singh
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी समिति की उस याचिका को बुधवार को बहाल कर दिया, जिसका उसने मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के काम पर रोक लगाते समय 24 जुलाई को अनजाने में निपटारा कर दिया था। एएसआई यह पता लगाने के लिए सर्वेक्षण कर रहा था कि क्या मस्जिद का निर्माण वहां पहले मौजूद किसी मंदिर पर किया गया है। 

प्रधान न्यायाधीश की खंडपीठ ने लिया संज्ञान

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतेजामिया समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुफेजा अहमदी के अभ्यावेदनों का संज्ञान लिया। अहमदी ने कहा कि न्यायालय ने सुनवाई की आखिरी तारीख को एएसआई के काम पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली उसकी अंतरिम याचिका के बजाय मुख्य याचिका का निपटारा कर दिया था। 

याचिका बहाल करने पर कोई आपत्ति नहीं

उच्चतम न्यायालय ने 24 जुलाई को वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई के ‘विस्तृत वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ पर 26 जुलाई को शाम पांच बजे तक रोक लगा दी थी। उत्तर प्रदेश सरकार और एएसआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें मस्जिद समिति की विशेष अनुमति याचिका को बहाल किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। 

खारिज करने का किया अनुरोध

मस्जिद समिति ने मुख्य याचिका में वाराणसी जिला अदालत में हिंदू पक्ष के मुकदमे को बिना विधिवत ‘मुहर एवं अधिकृत हस्ताक्षर’ वाले कागज पर दाखिल करने के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश सात नियम 11 (सी) के तहत खारिज करने का अनुरोध किया है। 

केवल एएसआई सर्वेक्षण का बिंदु उठाया

मस्जिद समिति ने अपील के लिए पर्याप्त समय दिए बिना सर्वेक्षण करने में अधिकारियों द्वारा दिखाई गई ‘जल्दबाजी’ के आधार पर एएसआई का काम रोके जाने का अनुरोध करते हुए एक अंतरिम याचिका दायर की थी। अहमदी ने कहा, ‘आदेश सात नियम 11 के तहत दायर याचिका को दलीलें सुने बिना खारिज कर दिया गया। हमने केवल एएसआई सर्वेक्षण का बिंदु उठाया था।’

अंतरिम याचिका की जगह एसएलपी का निपटारा 

शीर्ष अदालत ने काम पर रोक के रूप में अंतरिम याचिका पर राहत देते हुए 24 जुलाई को मुख्य मामले का निपटारा कर दिया था। पीठ ने याचिका को बहाल करने का आदेश देते हुए कहा, ‘सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि अंतरिम याचिका की जगह एसएलपी का निपटारा किया गया है। 

बुधवार शाम को आदेश की समाप्ति से पहले सुनवाई के आदेश

अनजाने में हुई त्रुटि को सुधार लिया गया है। (24 जुलाई के आदेश का) पैराग्राफ 10 हटा दिया जाएगा। मामले की तत्काल सुनवाई के लिए ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतेजामिया समिति की ओर से दायर याचिका पर शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को निर्देश दिया था कि वह बुधवार शाम को ‘यथास्थिति’ संबंधी उसके आदेश की समाप्ति से पहले मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई करे। 

वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वेक्षण

वाराणसी की एक अदालत ने 21 जुलाई को काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने की अनुमति दे दी थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया समिति की अपील पर बुधवार को सुबह साढ़े नौ बजे सुनवाई शुरू की।

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