मुरादाबाद : जिला कारागार में प्रशिक्षण पाकर कुशल बन रहे बंदी

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Published By Bhawna
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216 पुरुष बंदियों को धातु कारीगरी का प्रशिक्षण, 25 महिला बंदियों ने सीखी सिलाई

मुरादाबाद,अमृत विचार। जिला कारागार के बंदियों को धातु कारीगरी, सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर हुनरमंद बनाया जा रहा है। ताकि सजा पूरी होने के बाद उन्हें रोजगार संबंधी समस्याओं ने जूझना पड़े। 216 पुरुष बंदियों को धातु कारीगरी और 25 महिला बंदियों को सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया गया है। वहीं डीजी जेल ने भी वर्चुअल मीटिंग में वरिष्ठ जेल अधीक्षक से बंदियों के प्रशिक्षण में आ रहीं व्यावहारिक दिक्कतों को भी जाना। 

जिला कारागार में हैंडीक्राफ्ट वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) में शामिल है। इसके तहत बंदियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। अभी तक 216 पुरुष बंदी प्रशिक्षित भी हो चुके हैं। इनके अलावा महिला बंदियों को भी हुनरमंद बनाया जा रहा है। इसी मामले में बुधवार सुबह 11 बजे के दौरान डीजी जेल एसएन साबत ने जूम मीटिंग कर वरिष्ठ जेल अधीक्षक से ओडीओपी की गति देने में आ रही बाधाओं के बारे में जाना।

साथ ही जेल में क्षमता से अधिक बंदियों की समस्या को दूर करने के संबंध में भी चर्चा की। वरिष्ठ जेल अधीक्षक पीपी सिंह ने बताया कि हैंडीक्रॉफ्ट में बंदियों को धातु की कारीगरी का तीन महीने का प्रशिक्षण दिया गया है। यह प्रशिक्षण जेल के 216 बंदियों ने पाया है। इसके अलावा 25 महिला बंदियों ने भी सिलाई-कढ़ाई करना सीखा है। अब इन प्रशिक्षित बंदियों को कौशल विकास मिशन की तरफ से प्रमाणपत्र भी दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि प्रशिक्षित बंदियों में कई की जमानत होने की उम्मीद है। कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी अधिकतम सजा छह-सात साल की है उनमें कई की सजा पूरी होने वाली है। सजा पूरी होने के बाद उन्हें जेल से रिहा किया जाएगा। चूंकि बंदियों ने प्रशिक्षण पा लिया है, इसलिए वह रिहा होकर अपराध की तरफ रुख करने की बजाय अपना कुछ न कुछ रोजगार कर सकेंगे। इससे वह अपने परिवार का आसानी से भरण-पोषण कर सकेंगे।

वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि कोशिश हो रही है कि जो बंदी सजा पाए हैं, उनका जेल में निरुद्ध रहने के दौरान समय खराब न हो उन्हें रोजगार के लिए उस बीच में कुछ न कुछ हुनर दिया जाए और उसी के तहत जेल में बंदियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। पढ़े-लिखे बंदियों को कंप्यूटर में प्रशिक्षित करने के लिए ही उन्होंने हाल ही में जेल में कंप्यूटर केंद्र संचालित कराया है। इसमें छह कंप्यूटर सिस्टम लगाए गए हैं। कंप्यूटर केंद्र में प्रारंभिक चरण में 45 बंदियों को प्रशिक्षक विभिन्न कोर्सों से ट्रेंड कर रहे हैं। इसी तरह पढ़ी-लिखी महिलाओं को भी कंप्यूटर शिक्षा दी जा रही है। उन्होंने बताया कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग के अधिकारियों का भी सहयोग मिल रहा है।

जेल में क्षमता से ढाई गुना अधिक बंदी
वरिष्ठ जेल अधीक्षक पीपी सिंह ने बताया कि कारागार में क्षमता से ढाई गुना अधिक बंदी निरुद्ध हैं। इसलिए कारागार में बंदियों से किसी तरह का उत्पाद का निर्माण करा पाना संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में उन्हें धातु कारीगरी, कंप्यूटर कोर्स में प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नई जेल बनाने के लिए जमीन मिल गई है। उम्मीद है कि यथाशीघ्र प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्माण कार्य भी प्रारंभ हो जाएगा।

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