मुरादाबाद : तड़पती अनीता का आयुष्मान कार्ड पर उपचार से अस्पताल ने खींच लिया था हाथ, अब जिलाधिकारी करेंगे जांच

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Published By Bhawna
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जिलाधिकारी के कहने पर भी एशियन विवेकानंद हॉस्पिटल ने नहीं किया इलाज

मुरादाबाद, अमृत विचार। एशियन विवेकानंद हॉस्पिटल में अनुदान पर उपचार का सच बहुत डरावना है। गरीब वर्ग के रोगियों के साथ वहां का व्यवहार चर्चा में है। ताजा उदाहरण अनीता भटनागर का सामने आया है। जिला अस्पताल के चिकित्सकों की सलाह पर बेटे और पति ने अनीता को विवेकानंद हॉस्पिटल में 28 मार्च को भर्ती कराया था। पांच घंटे तक उनका इलाज ही नहीं शुरू हुआ और पल्स घटकर 20-22 रह गई थी। अनीता की हालत बिगड़ती देख बेटे और पिता ने डॉक्टरों के सामने हाथ भी जोड़े लेकिन, जिम्मेदारों को दया नहीं आई।

हॉस्पिटल की मनमर्जी तब जारी रही जब जिलाधिकारी, सीडीओ व एडीएम प्रशासन ने हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. हरजीत सिंह को अनीता का निशुल्क इलाज करने के निर्देश दिए थे। अस्पताल से निराश होकर बेटे ने मां को उसी दिन यहां से लेकर जाकर ब्राइट स्टार हॉस्पिटल भर्ती कराया था, जहां छह दिन इलाज चला। हालत सामान्य होने पर डॉक्टरों ने अनीता को घर भेज दिया था। इस समय आयुष्मान कार्ड के खर्चे पर अनीता की डायलिसिस ब्राइट स्टार हॉस्पिटल से ही चल रही है। मरीज के इलाज में विवेकानंद हॉस्पिटल की तरफ से बरती की गई लापरवाही के विरुद्ध गूंज सेवा संस्थान के अध्यक्ष सचिन गौतम मोर्चा खोल दिया है।  

अब आयुक्त के निर्देश पर अपर निदेशक (एडी) चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण दिनेश कुमार ने प्रकरण की जांच की और विवेकानंद हॉस्पिटल पर लगा आरोप सत्य पाया। लेकिन, एडी ने हॉस्पिटल के प्रबंधक को सिर्फ चेतावनी जारी कर पूरे घटनाक्रम को ठंडे बस्ते में डाल दिया। सचिन गौतम 27 जुलाई को मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह से मिले और एडी चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की जांच रिपोर्ट और कार्रवाई के संबंध में अपना पक्ष रखा है। अब आयुक्त ने अब प्रकरण की जांच और कार्रवाई करने के निर्देश डीएम को जारी कर दिए हैं।

एडी ने भविष्य की चिंता कर प्रबंधक को चेताया 
अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण दिनेश ने 22 जुलाई को एशियन विवेकानंद हॉस्पिटल के प्रबंधक को चेतावनी जारी की थी। पत्र में लिखा है कि सचिन गौतम के 27 मार्च के पत्र पर सीडीओ-एडीएम प्रशासन से अनीता भटनागर के उपचार के लिए निर्देशित किया था। लेकिन, अनीता का अस्पताल में इलाज नहीं हुआ जो कि उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना है। यदि अनीता भटनागर का ट्रस्ट के माध्यम से निशुल्क उपचार नहीं कर सकते थे तो समय रहते उच्चाधिकारियों को सूचित करना चाहिए था। आपके द्वारा चैरिटी में दी जाने वाली छूट या निशुल्क सुविधाओं को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना चाहिए था। जिससे आने वाले रोगियों को किसी भी प्रकार की भ्रांति न हो।

अब जिलाधिकारी करेंगे जांच
अपर आयुक्त प्रथम बृजेश कुमार ने 27 जुलाई को लिखे पत्र में डीएम को निर्देश दिए हैं कि प्रकरण की जांच कराकर आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई की जानकारी दें। पत्र में अपर आयुक्त प्रथम ने ये भी कहा है कि अनीता भटनागर के मामले में अपर निदेशक चिकित्सा एवं परिवार कल्याण ने जांच की थी। इनकी जांच रिपोर्ट को आवेदक ने दोषपूर्ण बताया है।

निर्धन है अनीता का परिवार
अनीता व उनके पति राजीव भटनागर रामगंगा विहार फेज-दो में मकान नंबर-चार में किराये पर रहते हैं। इनकी आर्थिक हालत खराब है। राजीव अपनी बीमारी के कारण कई माह से काम पर नहीं जा पा रहे हैं। एक बेटा है, जिसे संभल में शुगर फैक्ट्री ने नौकरी हटा दिया था।

जांच के दौरान एशियन विवेकानंद हॉस्पिटल प्रबंधन ने बताया है कि अनीता भटनागर के जरूरत वाले इलाज में शुल्क जमा होना था, जिसे उन्होंने जमा नहीं किया था। इसलिए उनका इलाज संभव नहीं हो सका। हमने हॉस्पिटल के प्रबंधक को चेताया है कि आपके यहां इलाज में जिस सेवा का जो भी शुल्क तय है, उसका प्रदर्शन करें, ताकि रोगी या तीमारदारों को पता तो चले।  - दिनेश कुमार, अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण

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