नैनीताल: पिथौरागढ़ में खनन सामग्री लाने-ले जाने के लिए अवैध सड़क बनाने की याचिका पर सुनवाई
विधि संवाददाता, नैनीताल, अमृत विचार। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिथौरागढ़ के कानड़ी गांव में खनन सामग्री को लाने-ले जाने के लिए पट्टाधारक द्वारा अवैध रूप से सड़क बनवाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मामले की वास्तविक स्थिति जानने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर मय फोटोग्राफ सहित रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 सितंबर की तिथि नियत की गई है।
पट्टाधारक का लाइसेंस निरस्त, अधिकारियों को नोटिस
हाईकोर्ट के पूर्व के आदेश पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान सचिव खनन, डॉ. पंकज पांडे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए। उनकी तरफ से पूर्व के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में कहा गया कि मामले की जांच हेतु जिलाधिकारी को आदेश दे दिए गए हैं और संबंधित अधिकारियों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। साथ ही, पट्टाधारक का लाइसेंस भी निरस्त कर दिया गया है। इसलिए नियुक्त हुए कोर्ट कमिश्नर
पट्टाधारक ने कोर्ट को अवगत कराया कि उन्होंने किसी सड़क का निर्माण नहीं कराया बल्कि सड़क पहले से ही बनी हुई थी। जिस पर कोर्ट ने मामले की वास्तविक स्थिति जानने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर मय फोटोग्राफ सहित रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।
यह है मामला
कानड़ी गांव निवासी नीमा वल्दिया ने याचिका में कहा कि उनके गांव में नदी किनारे सरकार ने खनन हेतु वर्ष 2022 में पट्टा दिया था। आरंभ में पट्टाधारक ने श्रमिक लगाकर खनन कार्य कराया। बाद में खनन सामाग्री लाने व ले जाने के लिए उसने बिना अनुमति के वहां सड़क निर्माण प्रारंभ करा दिया। निर्माण के दौरान उसके द्वारा 100 से अधिक खैर व साल के पेड़ कटवा दिए गए। ग्रामवासियों के विरोध पर कुछ समय के लिए उसने निर्माण कार्य बंद रखा। लेकिन, विरोध शांत होने के बाद फिर से निर्माण कार्य प्रारंभ करा दिया। जिला प्रशासन ने भी ग्रामीणों की शिकायत पर कोई निर्णय नहीं लिया। याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई कि अवैध सड़क निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाए।
