Musical Therapy: शास्त्रीय संगीत को बनाइए बीमारी से लड़ने का शस्त्र
हल्द्वानी, अमृत विचार। रोजमर्रा की टेंशन के बाद घर आकर इयरफोन कान में डाल कर बस 15 मिनट में आपको जो सुकून मिलता है वो दुनिया के किसी कोने में नहीं। म्यूजिक सुनने से मन तो शांत होता ही है, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि म्यूजिक से उनका सिर दर्द भी ठीक होता है।
लेकिन क्या आपको पता है कि संगीत बड़ी-बड़ी बीमारी जैसे हृदयरोग या रक्तचाप को भी ठीक करने में कारगर है। बीमारियों का इलाज केवल दवाई ही नहीं बल्कि अपरंपरागत उपचार विधियों से भी किया जाने लगा है। यह ज्ञान हमारे उपवेद गंधर्व वेद में व्याप्त पाया गया है। आइए जान लेते हैं कौन-कौन सी बीमारी ठीक करने का दम रखते हैं हमारे शास्त्रीय संगीत के राग।
1) हृदयरोग : इस रोग में राग दरबारी व राग सारंग से संबंधित संगीत सुनना लाभदायक है। मध्यम सितार वादन से फायदा होता है, तेज संगीत न सुनें।
2) अनिद्रा: यह रोग हमारे जीवन में होने वाले सबसे साधारण रोगों में से एक है। इस रोग के होने पर राग भैरवी व राग सोहनी सुनना लाभकारी होता है। बिस्तर पर शांतचित्त होकर मध्यम बांसुरी वादन सुनने से फायदा होता है।
(3) पित्त रोग : इस रोग के होने पर राग खमाज सुनने से लाभ मिलता है। खाना खाते समय विशेषकर पानी हवा जैसी प्राकृतिक ध्वनियों से परिपूर्ण मध्यम स्वर लहरियां सुनने से फायदा होता है।
4) कमजोरी : यह रोग शारीरिक शक्तिहीनता से संबंधित है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति कुछ भी काम कर पाने में खुद को असमर्थ महसूस करता है। इस रोग के होने पर राग जय जयवंती सुनना या गाना लाभदायक होता है। उत्साह का संचार करने के लिए थोड़ा तेज संगीत सुनें।
5) याददाश्त : जिन लोगों की याददाश्त कम हो या कम हो रही हो, उन्हें राग शिवरंजनी सुनने से बहुत लाभ मिलता है। वीणा वादन और बांसुरी सुनने से अत्यधिक फायदा होता है।
6) खून की कमी: शारीरिक कमजोरी से पीड़ित होने पर व्यक्ति निस्तेज रहता है। राग पीलू से संबंधित गीत सुनने से लाभ पाया जा सकता है। मृदंग और ढोल से उत्साह का संचार होता है।
7) मनोरोग अथवा डिप्रेशन : इस रोग में राग बिहाग व राग मधुवंती सुनना लाभदायक होता है। घुंघरू और तबला सुनना मन प्रसन्न करता है।
8) रक्तचाप: ऊंचे रक्तचाप में धीमी गति और निम्न रक्तचाप में तीव्र गति का गीत-संगीत लाभ देता है। वीणा वादन सुनना अति लाभदायक होता है।
9) सांस संबधी रोग जैसे अस्थमा : इस रोग में आस्था भक्ति पर आधारित गीत-संगीत सुनने व गाने से लाभ होता है। राग मालकस व राग ललित से संबंधित गीत इस रोग में सुने जा सकते हैं। प्राकृतिक स्वर लहरियां जैसे समुद्र की लहरें या पानी की कल-कल से अत्यंत फायदा होता है।
