हल्द्वानी: जंगल-जंगल पता चला है... घोड़ा पीठ पर किताबें लेकर चला है...
हल्द्वानी, अमृत विचार। कहतें हैं अभिनव प्रयास करने वालों को लोग पहले बेवकूफ समझते हैं...उन पर हंसते हैं...मजाक उड़ाते हैं...लेकिन जब वो सफल हो जाते हैं तो यही लोग फिर तालियां बजाते हैं। खैर यहां हम बात कर रहे हैं ऐसे ही कुछ युवाओं की जिन्होंने सूचना क्रांति से अछुते गांव के बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने का प्रयास किया है।
नैनीताल जिले के छोटे से कस्बे कोटाबाग क्षेत्र के युवाओं ने एक अनूठी पहल की है। हिमोत्थान व संकल्प यूथ फाउंडेशन संस्था की मदद से घोड़े की पीठ पर चलती-फिरती लाइब्रेरी यानी घोड़ा लाइब्रेरी शुरू की है। दूरस्थ गांव में जहां सड़क, संचार नेटवर्क व पढ़ाई के संसाधनों का अभाव है, वहां घोड़ा लाइब्रेरी पहुंच रही है। युवाओं की टोली द्वारा बच्चों को सामान्य ज्ञान, प्रेरक कहानियां और नैतिक शिक्षा संबंधी पुस्तकें दी जा रही हैं।

इन युवाओं का कहना है कि सरकार की ओर से पाठ्यक्रम की पुस्तकें स्कूलों में मिल जाती हैं। उनका प्रयास बच्चों को साहित्य व नैतिक शिक्षा से जोड़ना है। नैनीताल जिले के कोटाबाग के आंवलाकोट निवासी शुभम बधानी बताते हैं कि वह हिमोत्थान संस्था के लाइब्रेरी कार्डिनेटर व संकल्प यूथ फाउंडेशन संस्था के अध्यक्ष हैं।
10 जून को वर्षा से इलाके के दूरस्थ गांवों में आपदा ने काफी नुकसान पहुंचाया। शुभम ने युवाओं के साथ मिलकर बच्चों को साहित्य और नैतिक शिक्षा से जोड़ने की मुहिम शुरू की। बाघिनी गांव से घोड़ा लाइब्रेरी शुरू करने का निर्णय लिया। इस गांव के लोगों की मदद से एक घोड़ा मिला। घोड़े की पीठ पर पुस्तकें लेकर वह टीम के साथ गांव में निकले और बच्चों को पुस्तकें दीं।
इससे जलना, तोक व आलेख गांव तक घोड़ा लाइब्रेरी पहुंच गई। युवाओं की टोली अब तक 300 पुस्तकें बांटी जा चुकी हैं। नैनीताल के जिला शिक्षाधिकारी (बेसिक) नागेंद्र बर्थवाल भी इन युवाओं की इस पहल को लेकर खुश हैं और तारीफ करते नहीं थकते। बहरहाल मोबाइल,टेबलेट और कंप्यूटर से दूर इन बच्चों को समय बिताने के लिए पुस्तकें पहुंचाने की मुहिम जारी है और शायद इन युवाओं की यह पहल बच्चों में एक नई सोच और नजरिया पैदा करे और क्या पता कल इन्हीं में से कोई बच्चा इतिहास रच दे...
