बरेली: अधिवक्ताओं, न्यायाधीशों और पीड़ित परिवारों पर दर्ज केस वापस लेने की मांग
बरेली, अमृत विचार। राज्य विधिज्ञ परिषद उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर एसआईटी द्वारा एमएसीटी परिवादों में अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों के साथ पीड़ित परिवारों के विरुद्ध लिखाई गई एफआईआर और आरोप पत्र के आरोपों को वापस लेने की मांग की है।
ट्रेजरी रोड, सिविल कोर्ट के राजेंद्र प्रसाद राय एडवोकेट ने बताया है कि परिषद के चेयरमैन पीआर मौर्य ने मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव गृह को लिखे पत्र में उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए मांग की है कि यदि कोई अधिवक्ता किसी न्यायालय में गैर कानूनी कार्य करता है तो उसके विरुद्ध बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश में शिकायत की जा सकती है, वहीं न्यायाधीश न्यायालय में पत्रावलियों पर मौजूद साक्ष्यों के आधार पर निर्णय देते हैं, इसलिए न्यायाधीशों के निर्णय पर पत्रावली का निरीक्षण करने का अधिकार पुलिस को नहीं है।
एसआईटी बीमा कंपनी, न्यायाधीश और वकीलों के साथ पीड़ित परिवारों के विरुद्ध गलत तथ्यों के आधार पर एफआईआर दर्ज कराकर उत्पीड़न की कार्यवाही कर रही है। हजारों पीड़ित परिवारों को अपने केसों की पैरवी करना संभव नहीं हो पा रहा है और दुर्घटना के मुआवजों से वंचित किया जा रहा है।
आरोप लगाया कि एसआईटी ने अपने जाने-पहचाने अधिवक्ताओं के विरुद्ध दर्ज एफआईआर को वापस ले लिया है और उनमें फाइनल रिपोर्ट लगा दी है और जिन अधिवक्ताओं द्वारा पैरवी नहीं की जा सकी है, उनका अकारण एफआईआर दर्ज कराकर उत्पीड़न किया जा रहा है।
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