एपोस्टिल कन्वेंशन की भावना का सम्मान करे भारत : हाईकोर्ट  

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Published By Jagat Mishra
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि भारत एपोस्टिल कन्वेंशन, 1961 का हस्ताक्षरकर्ता देश है। अगर अन्य देशों के सरकारी अभिलेखागार से प्राप्त दस्तावेजों को अस्वीकार करने की प्रथा अपनाई जाती है तो अन्य देश भारत सरकार द्वारा जारी दस्तावेजों को अस्वीकार करने के लिए स्वतंत्र होंगे। मालूम हो कि यह कन्वेंशन एक हस्ताक्षरकर्ता देश के विदेशी सार्वजनिक दस्तावेजों को अन्य हस्ताक्षरकर्ता देशों में वैध सिद्ध करने की आवश्यकता को समाप्त कर देता है। 

उक्त आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने गोयाना सरकार की ओर से जारी कुछ दस्तावेजों के आधार पर ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया कार्ड (ओसीआई) देने की मांग करने वाली अमेरिकी नागरिक नारोमाटी देवी गणपत की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। 

दरअसल याची ने गुयाना के जनरल रजिस्ट्रार के कार्यालय से प्राप्त दस्तावेज को इस उद्देश्य से प्रस्तुत किया कि उसके दादा-दादी अप्रवासी भारतीय थे। याची ने तर्क दिया कि गुयाना और भारत दोनों एपोस्टल कन्वेंशन के सदस्य हैं। अतः गुयाना द्वारा जारी किया गया कोई भी दस्तावेज भारत में कानूनी रूप से मान्य होगा। ओसीआई कार्ड जारी करने के उद्देश्य से इस मंत्रालय द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए। मालूम हो कि एक विदेशी नागरिक जो 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत या भारत के किसी भी राज्य से संबंधित था तो उसके बच्चे और पोते-पोतियां ओसीआई के रूप में पंजीकरण के लिए पात्र होंगे। नगर निगम, प्रयागराज ने याची के पूर्वजों से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने की प्रार्थना को इस आधार पर खारिज कर दिया कि उनके पास वर्ष 1900 से पहले का कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है, जिसमें यह पुष्टि की गई हो कि उनके दादा अप्रवासी भारतीय थे। 

हालांकि जौनपुर के ग्राम प्रधान ने इस संबंध में एक पत्र जारी किया था। अंत में कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों को जल्द से जल्द सुलझाना चाहिए। राज्य के पदाधिकारियों को अप्रवासी भारतीयों को इस प्रकार परेशान करना उचित नहीं है। इसके साथ ही यह भी कहा कि सरकारी वेबसाइट्स दस्तावेज अपलोड करने के लिए पर्याप्त डाटा स्पेस प्रदान नहीं करती हैं। संपूर्ण दस्तावेज अपलोड करने के लिए प्रदान की गई 15केबी बहुत कम है। कोर्ट ने केंद्र के अधिवक्ता को सुनवाई की अगली तारीख से पहले जरूरत पड़ने पर दूतावास के माध्यम से दस्तावेजों को सत्यापित करने का निर्देश दिया है।

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