बरेली: ट्रेजरी का स्टॉक खाली...2, 5 और 10 रुपये के एक भी कोर्ट फीस टिकट नहीं
अनुपम सिंह, बरेली, अमृत विचार। जिले में कोर्ट फीस टिकटों की किल्लत चरम पर पहुंच गई है। ट्रेजरी में दो, पांच और 10 रुपये के टिकटों का स्टाॅक खत्म हो चुका है। एक रुपये कीमत के कोर्ट फीस टिकट से किसी तरह काम चलाया जा रहा है, लेकिन ये टिकट भी अब नाम मात्र की संख्या में ही रह गए हैं। जल्द सौ रुपये के स्टांप का भी संकट गहराने की आशंका है। वकील और वादकारी दोनों इस संकट से जूझ रहे हैं।
वकीलों की हड़ताल खत्म होते ही यह संकट हाहाकार में बदलने की भी आशंका जताई जा रही है। बार एसोसिएशन के दबाव के बाद डीएम ने हाल ही में नोडल कार्यालय कानपुर और स्टांप आयुक्त को टिकटों की आपूर्ति के लिए पत्र लिखा है।
कोर्ट फीस टिकटों की कमी जिले में काफी समय से बनी हुई है जो लेकर जिम्मेदार अफसरों के गंभीरता न दिखाने की वजह से संकट का रूप ले चुकी है। कलेक्ट्रेट स्थित कोषागार के स्टॉक में सोमवार को एक रुपये कोर्ट फीस टिकट की सिर्फ 513 शीट बची थीं। एक शीट में 110 टिकट होते हैं। इस हिसाब से अब 54 हजार 430 टिकट ही स्टॉक में हैं। आमतौर पर एक दिन में करीब डेढ़ लाख कीमत के कोर्ट फीस टिकटों की बिक्री होती है, लिहाजा ये टिकट जरूरत के लिहाज से काफी कम हैं लेकिन गनीमत है कि हापुड़ में लाठीचार्ज के बाद 12 दिन से वकील हड़ताल पर हैं। इसी कारण ये टिकट बच गए हैं वर्ना स्टाॅक कबका खत्म हो चुका होता और जिले में हाहाकार जैसी स्थिति होती।
अब यह आशंका भी परेशान कर रही है कि वकीलों की हड़ताल की वजह से वादकारियों के काफी काम रुके हुए हैं और हड़ताल खत्म होते ही कोर्ट फीस टिकटों की बड़े पैमाने पर जरूरत पड़ेगी। ऐसे में स्थिति को संभाल पाना मुश्किल होगा। कोर्ट फीस टिकटों के साथ सौ रुपये के स्टांप की भी कमी होने लगी है। स्टॉक में सौ रुपये के 718 स्टांप ही रह गए हैं। इस संकट के बीच बार अध्यक्ष अरविंद कुमार वकीलों के साथ कई दफा डीएम, एडीएम, कोषाधिकारी विश्व बंधु गौतम से मिल चुके हैं। चार सितंबर को डीएम ने ट्रेजरी के नोडल कार्यालय कानपुर और स्टांप आयुक्त को पत्र लिखकर यह संकट को दूर करने की गुजारिश की है, लेकिन इस पत्र का अभी कोई जवाब नहीं आया है।
20 जुलाई को खत्म हो गए थे दो पांच और 10 रुपये के टिकट
कोषागार में दो, पांच और 10 रुपये की कोर्ट फीस के टिकट 20 जुलाई को ही खत्म हो गए थे। इसके बाद से लगातार वकील इन टिकटों की मांग कर रहे हैं लेकिन ऊपर से सप्लाई ही नहीं आ रही है। विकल्प के तौर पर ज्यादातर वकील एक रुपये के टिकट से काम चला रहे हैं, लेकिन अब ये टिकट भी खत्म होने की स्थिति में हैं। चार महीने पहले टिकटों की आखिरी खेप आईथी। ट्रेजरी में पुराने स्टॉक से काम चलाया जा रहा था। मगर अब संकट की स्थिति बन चुकी है।
इन कामों के लिए जरूरत...
दीवानी न्यायालयों में केस दाखिल करने, फौजदारी, दूसरे मामलों में वकालतनामा लगाने और दूसरी तरह के दावे करने में ये टिकट लगते हैं। इसके अलावा शपथ पत्र और अनुबंध में 10 और सौ रुपये के स्टांप लगते हैं। बैंक लॉकर, किरायेदारी, बिजली कनेक्शन, किसी भी दस्तावेज में नाम-पता बदलवाने, एआरटीओ दफ्तर में काम, ठेका लेने में भी इनकी जरूरत होती है।
दो और 10 रुपये के टिकट की सर्वाधिक मांग
कोषागार के आंकड़ों के मुताबिक जून में 10 रुपये के टिकटों की 900 शीट बिकी हैं। एक शीट में 72 टिकट होते हैं। इस तरह 64 हजार 800 टिकट बिके थे। दो रुपये के टिकटों की जून में 1250 शीट बिकी थीं। इसकी एक शीट में 80 टिकट होते हैं। ये कुल एक लाख टिकट बिके थे। बताया जाता है कि दस और दो रुपये के टिकट की हर महीने इतनी ही औसत बिक्री होती है। सबसे ज्यादा 10 और दो रुपये के ही टिकट बिकते हैं। स्टॉक न होने पर विकल्प के तौर पर 10 की जगह पांच और दो रुपये की जगह एक रुपये के टिकट भी इस्तेमाल किए जाते हैं। इस समय यही हो रहा है।
कानपुर से होती है सप्लाई, पूरे यूपी में संकट
कोर्ट फीस के टिकटों की सप्लाई कानपुर नोडल कार्यालय से होती है। आयुक्त स्टांप प्रदेश पूरे में खपत के अनुसार स्टाक की डिमांड शासन को भेजते हैं जिसके मुताबिक शासन नासिक में केंद्र सरकार के अधीन प्रेस में उन्हें छपवाता है और फिर टिकट कानपुर नोडल कार्यालय पहुंचते हैं। वहीं से जिलों में मांग के मुताबिक सप्लाई होती है।
2570 स्टांप बचे हैं 500 रुपये के
3757 स्टांप ही 1000 रुपये वाले
2222 स्टांप हैं 5000 रुपये वाले
1281 स्टांप बचे 25 हजार रुपये के
1.5 लाख रुपये कीमत के कोर्ट फीस टिकट रोज होते हैं इस्तेमाल
इतनी लंबी हड़ताल न होती तो स्थिति और विकराल होती। सबसे ज्यादा दिक्कत वादकारियों को होगी। अदालतों में दाखिल होने वाले वादों में कोर्ट फीस टिकट लगते हैं। डीएम रास्ता निकाल सकते हैं। काउंटर खुलवाकर दो, पांच और 10 रुपये की पर्ची अपनी मुहर से जारी कर सकते हैं जो कोर्ट में मान्य होंगी। - अरविंद कुमार, बार अध्यक्ष
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