
रुद्रपुर: साढ़े 17 सालों से साथ निभा रही अश्वरानी की अचानक हुई मौत
रुद्रपुर, अमृत विचार। पिछले कई सालों से घुड़सवार पुलिस टीम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपने कर्तव्यों को निभाने वाली अश्वरानी ने आखिरकार घुड़सवार टीम का साथ छोड़ दिया है।
निर्धारित आयु के पार होने के बाद अचानक अश्वरानी की तबीयत बिगड़ गई और डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मौत की खबर मिलते ही घुड़सवार पुलिस में शोक की लहर दौड़ गई और एसएसपी सहित आला अधिकारियों ने शोक सम्मान देकर अंतिम विदाई की। जिसे देखकर घुड़सवार पुलिस टीम की आंखें नम हो गई।
बताते चलें कि वर्ष 2006 में पुलिस लाइन स्थित घुड़सवार पुलिस की टीम बेड़े में अश्वरानी घोड़ी का आगमन हुआ था। पंजाब के फिलोर प्रशिक्षण अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद पिछले सत्रह सालों से अश्वरानी ने हरिद्वार अर्ध कुंभ, महाकुंभ और वीवीआईपी कार्यक्रमों में अपने कर्तव्यों का बखूबी निवर्हन किया।
वहीं चौबीस घंटों में ज्यादातर समय अश्वरानी ने घुड़सवार टीम के साथ गुजारी थी। 23 साल ग्यारह माह 24 दिन की आयु होने के कारण सोमवार की सुबह अचानक अश्वरानी की तबीयत बिगड़ने लगी। जिसकी सूचना मिलते ही टीम प्रभारी हीराराम मौके पर पहुंचे और पशु चिकित्सकों को बुलाया।
मगर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया और पोस्टमार्टम के लिए कुछ अवशेष लेकर जांच के लिए भेज दिए। वहीं अश्वरानी घोड़ी की मौत की खबर मिलते ही घुड़सवार पुलिस टीम में शोक की लहर दौड़ गई और पुलिस लाइन में शोक सम्मान का आयोजन किया गया। जहां एसएसपी मंजूनाथ टीसी, सीओ लाइन भूपेंद्र सिंह भंडारी, प्रतिसार निरीक्षक आरपी भट्ट सहित टीम ने पुष्प अर्पित कर पिछले साढ़े सत्रह सालों से साथ निभा रही अश्वरानी को नम आंखों से अंतिम विदाई दी।
वर्ष 2006 से अश्वरानी की बढ़ गयी थी डिमांड
रुद्रपुर। पंजाब के फिलोर स्थित पुलिस घुड़सवार प्रशिक्षण अकादमी में नौ माह का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वर्ष 2006 में अश्वरानी को रुद्रपुर स्थित घुड़सवार पुलिस के बेड़े में शामिल किया गया था। उसके बाद से ही अश्वरानी की डिमांड देहरादून सहित कई वीवीआईपी व धार्मिक आयोजनों में होने लगी।
बताया कि वर्ष 2006 से 2014 तक वह पुलिस लाइन में रही। 2015 से 2016 तक हरिद्वार अर्धकुंभ और वर्ष 2023 हरिद्वार महाकुंभ में अश्वरानी ने अपने दायित्वों का निर्वहन कर सभी को अपना कायल बना दिया। इसके अलावा देहरादून में वीवीआईपी और वीआईपी कार्यक्रमों में भी अश्वरानी ने अपनी दस्तक दी थी। यही कारण है कि अश्वरानी की डिमांड काफी थी।
तीन साल ग्यारह माह से ज्यादा का निभाया साथ
रुद्रपुर। घुड़सवार पुलिस नियमावली के अनुसार घुड़सवार पुलिस बेड़े में शामिल होने वाले घोड़ों की आयु बीस वर्ष होती है। उसके बाद या तो घोड़ी या घोड़े की नीलामी कर दी जाती है या फिर पुलिस लाइन में रखकर उसका ख्याल रखा जाता है।
ऐसे ही अश्वरानी ने पूरे साढ़े सत्रह साल घुड़सवार पुलिस टीम में दायित्व निभाया और बीस साल की आयु पूर्ण होने के बाद भी तीन साल 11 माह का अतिरिक्त समय गुजारा। टीम प्रभारी हीरा राम ने बताया कि आयु यानि बुढ़ी होने के बाद भी अश्वरानी हमेशा अनुशासन व प्रशिक्षण का पालन करती थी। जिस कारण उससे ज्यादा काम नहीं लिया जाता था।
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