बरेली: 583 सीएमआर वाली राइस मिलों ने फंसा दिए 126.84 करोड़ रुपये

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Published By Moazzam Beg
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बरेली, अमृत विचार। धान की मिलिंग कर कस्टम मिल्ड चावल (सीएमआर) बनाने वाली राइस मिलों के गोरखधंधे ने राज्य सरकार को दोतरफा नुकसान पहुंचाया है। एक तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे धान की सीएमआर समय पर नहीं पहुंचाई, जब सीएमआर धनराशि की वसूली के लिए आरसी जारी की गई तो कई राइस मिलें कोर्ट चली गईं।

संबंधित अधिकारियों ने कोई ठोस पैरवी नहीं की। शासन स्तर से वसूली नहीं होने को लेकर नाराजगी जताई जा रही है। बरेली समेत जिला खाद्य विपणन अधिकारियों को जिलाधिकारियों से समन्वय कर वसूली कराने के निर्देश दिए हैं।

अगस्त में लखनऊ में आयुक्त खाद्य एवं रसद विभाग कार्यालय में हुई समीक्षा बैठक में इन राइस मिलों की संख्या उजागर हुई। जिसमें 583 से ज्यादा राइस मिलों पर 126. 84 करोड़ रुपये की धनराशि की वसूली होनी हैं। बरेली, अयोध्या, देवीपाटन, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी संभाग की राइस मिलें भी इसमें शामिल हैं।समीक्षा में पाया गया कि संभाग अयोध्या में 126 राइस मिलों से 31.75 करोड़ रुपये की अवशेष सीएमआर है। 

संभाग बस्ती में 132 राइस मिलों से 28 करोड़, बरेली संभाग की 15 राइस मिलों से 7.45, आजमगढ़ संभाग की 215 राइस मिलों से 41.77 करोड़, संभाग लखनऊ की 16 राइस मिलों से 7.50 करोड़, संभाग वाराणसी में 40 राइस मिलों से 6.32 करोड़, संभाग गोरखपुर की 33 राइस मिलों से 2.18 करोड़, संभाग मिर्जापुर की तीन मिलों से 62 लाख, मुरादाबाद संभाग के बिजनौर में एक राइस मिल से 79 लाख, संभाग देवीपाटन के जनपद गोंडा की एक राइस मिल से 25 लाख और मैनपुरी की एक राइस मिल से 23 लाख रुपये की वसूली होनी अवशेष है। तीन महीने में 3 करोड़ 14 लाख रुपये की वसूली हुई है। समीक्षा बैठक में अधिकारियों की भी लापरवाही पकड़ी गई।

अपर आयुक्त राजीव कुमार मिश्र ने जिला खाद्य विपणन अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जिन सीएमआर वाली राइस मिलों पर अवशेष धनराशि है, उनके विरुद्ध जारी आरसी, ऑनलाइन फीडिंग, एफआईआर में विवेचना की स्थिति, कुर्की या नीलामी से संबंधित प्रपत्रों की छायाप्रति आयुक्त खाद्य और रसद विभाग कार्यालय को उपलब्ध कराएं, ताकि शासन को सही स्थिति से अवगत कराया जा सके।

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