Kanpur: NSI की सेहतमंद चीनी से नहीं बढ़ेगा मोटापा और मधुमेह, इस बीमारी के रोगी कर सकते सेवन, पढ़ें- पूरी खबर

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में एनएसआई की सेहतमंद चीनी से नहीं बढ़ेगा मोटापा और मधुमेह।

कानपुर में एनएसआई की सेहतमंद चीनी से मोटापा और मधुमेह नहीं बढ़ेगा। उच्च रक्तचाप के रोगी और सेहत के फिक्रमंद सेवन कर सकते। यह स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है।

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। मधुमेह, मोटापे, उच्च रक्तचाप के रोगियों के साथ ही सेहत के प्रति जागरूक लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी है, अब उन्हें मीठा खाने से परहेज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। गुलाब जामुन, रसमलाई, खीर, रबड़ी, आईसक्रीम जी भरके खा सकेंगे। इसके लिए राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) के विशेषज्ञों ने लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली सेहतमंद चीनी तैयार कर ली है। इसके सेवन से खून में चीनी का स्तर तेजी से नहीं बढ़ता है।  इस चीनी का ट्रायल अंतिम चरण में है। संस्थान  जल्द ही ‘सेहतमंद चीनी’ लांच करने की तैयारी कर रहा है।

भोजन में मीठी खाद्य सामग्री या पेय पदार्थ को लेकर लोगों में डर बना रहता है। मधुमेह के रोगी जहां ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ने से परहेज करते हैं, वहीं मोटापे और उच्च रक्तचाप के रोगी वजन बढ़ने की आशंका में मीठे व्यंजन खाने से कतराते हैं। सेहत के फ्रिकमंद लोग भी मीठा खाने से बचते हैं। बाजार में कई कंपनियां आर्टिफिशियल स्वीटनर बेच रही हैं, जिसका उपयोग चाय, कॉफी या अन्य मीठे व्यंजन में किया जाता है।

लेकिन यह आर्टिफिशियल स्वीटनर काफी महंगे और पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। इसी समस्या का स्थाई हल निकालने के लिए राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने कुदरती तरीके से सेहतमंद चीनी विकसित की है।

15 से 20 फीसदी तक महंगी हो सकती सामान्य चीनी से 

एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि संस्थान की ओर से विकसित की गई चीनी लो ग्लेसिमिक इंडेक्स वाली रहेगी। इससे ब्लड में शुगर का लेवल नहीं बढ़ेगा। इस चीनी को सामान्य चीनी से हटकर विकसित किया गया है। इसकी कीमत सामान्य चीनी से 15 से 20 फीसद महंगी हो सकती है। इस पर छह महीने ट्रायल होना है, जिसके पांच माह पूरे हो चुके हैं। चीनी को पेटेंट कराया जा रहा है।

क्या होता है ‘लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स’

ग्लाइसेमिक इंडेक्स वह तरीका है, जिससे पता चलता है कि भोजन में कार्बोहाईड्रेट कितनी जल्दी ग्लूकोज में परिवर्तित होकर खून के प्रवाह में चला जाता है। सेहत के नजरिये से डॉक्टर लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले भोजन के सेवन की सलाह देते हैं।  डॉयबेटेलॉजिस्ट डॉ. नंदिनी रस्तोगी के मुताबिक ग्लाइसेमिक इंडेक्स का लेवल शून्य से 100 तक होता है। हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले पदार्थों का स्तर 70 से अधिक रहता है। इसमें पदार्थ तेजी से पचता है और शुगर लेवल जल्दी बढ़ जाता है। चॉकलेट, पिज्जा, एनर्जी ड्रिंक, केक, ब्रेड, बिस्कुट, आलू, तरबूज, खजूर, कद्दू आदि इसी श्रेणी में आते हैं। लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स 55 से नीचे माना जाता है। इसमें शुगर लेवल धीरे धीरे बढ़ता है। दलिया, ओट्स, अरहर, मसूर की दाल, सोयाबीन, सेब, खीरा, नाशपाती, बासमती चावल, बादाम, अखरोट, दूध आदि लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले माने जाते हैं। 

इम्युनिटी बूस्टर वाली चीनी विकसित करने का भी प्रयास 

संस्थान के विशेषज्ञों के मुताबिक इम्युनिटी बूस्टर (रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना) चीनी बनाने पर भी काम चल रहा है। कोरोना काल में अदरक, सोंठ, काली मिर्च, जायफल, गुड़ आदि को मिलाकर इस तरह की चीनी पहले बनाई जा चुकी है, लेकिन अब इसमें नए तत्व डाले जा रहे हैं। 

लो कैलोरी’ चीनी संस्थान मे पहले ही बनाई जा चुकी
 
प्रो. नरेंद्र मोहन के मुताबिक एनएसआई में लो कैलोरी वाली चीनी पहले ही बनाई जा चुकी है। इसे स्वीट सोरघम (मीठी चरी) से तैयार किया गया है। यह मिठास में शहद जैसी है, लेकिन इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत कम है। कुछ अन्य कृषि उत्पादों से भी चीनी तैयार की जा रही है।

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