बढ़ते वैश्विकरण के बीच कानूनी चुनौतियों से निपटने में वकीलों की भूमिका अहम हुई है : CJI
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि वैश्वीकरण के इस युग में असंख्य वैश्विक कानूनी चुनौतियों से निपटने में वकीलों की भूमिका अहम हुई है। उन्होंने कहा कि तेजी से विकसित होती प्रौद्योगिकी से ‘‘जटिल कानूनी मुद्दे’’ उत्पन्न हुए हैं और वकील इस परिदृश्य से निपटने में अग्रणी हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका निश्चित रूप से न्याय प्रदान करने और कानून के शासन को कायम रखने की जिम्मेदारी निभाती है, लेकिन इसमें वकील भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के ‘अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन, 2023’ के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘लगातार बढ़ते वैश्वीकरण के युग में, असंख्य वैश्विक कानूनी चुनौतियों के समाधान में वकीलों की भूमिका अहम हुई है।’’ उन्होंने कहा कि वकील यह सुनिश्चित करते हैं कि मुवक्किल और सरकारें साइबर सुरक्षा, डेटा गोपनीयता और बौद्धिक संपदा जैसे क्षेत्रों को कवर करते हुए कानूनी अधिकारों और नियमों को बरकरार रखते हुए तकनीकी बदलावों को अपनाएं।
उन्होंने कहा कि वकील महत्वपूर्ण व्यावसायिक जिम्मेदारी भी निभाते हैं। वे मुवक्किलों की मदद करते आर्थिक विकास को गति देते हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि अधिवक्ता अंतरराष्ट्रीय व्यापार, निवेश और सहयोग को सुविधाजनक बनाने में अपनी भूमिका के माध्यम से राष्ट्रों की आर्थिक भलाई और वैश्विक सहयोग में योगदान करते हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि जिस तरह भारतीय उद्योग ने 1980 या उससे पहले की अपनी छाप को अब दुनिया भर में पहुंच कर मूल रूप से बदला है, ‘‘मेरा मानना है कि अब हमारे वकीलों के लिए वैश्विक परिदृश्य के मद्देनजर दुनिया भर में अपनी पहुंच सुनिश्चित करने का समय आ गया है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार बुनियादी ढांचे के निर्माण की प्रक्रिया में है और इसके माध्यम से बाकी दुनिया तक पहुंच संभव हो सकेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि हमारे कानूनी पेशे को पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। हमारी पहुंच, हमारा दृष्टिकोण अब वैश्विक होना चाहिए।’’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके और पीठ के सहयोगी सदस्यों के बीच अक्सर दृष्टिकोण में अंतर होता है। लेकिन, ‘‘ऐसा इसीलिए क्योंकि हम एक राष्ट्रीय न्यायालय हैं।’’
उन्होंने कहा कि यह एक-दूसरे के दृष्टिकोण के लिए पारस्परिक सम्मान को बढ़ावा देने और यह स्वीकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि प्रत्येक व्यक्ति, हमेशा दूसरे से कुछ न कुछ सीख सकता है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हालांकि, हममें से किसी के पास न्याय वितरण की सभी चुनौतियों को दूर करने के लिए जादू की छड़ी नहीं है। मुझे यकीन है कि अगले दो दिनों में (सम्मेलन में) होने वाले सत्र हममें से प्रत्येक को नवोन्मेषी समाधान खोजने के लिए प्रेरित करेंगे।’’
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ इस समारोह के मुख्य अतिथि थे, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, ब्रिटेन के न्याय मंत्री एलेक्स चाक, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा के अलावा उच्चतम न्यायालय के कई न्यायाधीशों सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे।
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