हल्द्वानी: सुशीला तिवारी अस्पताल के बेसमेंट में बीमारियों का 'कचरा', एक मर्ज के साथ दूसरा फ्री

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार। सरकारी अस्पताल मरीजों के स्वास्थ्य को लेकर जिम्मेदार कितने संजीदा हैं, इस बात की बानगी सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल के बेसमेंट में मिलती है, जहां बायोमेडिकल वेस्ट भरा पड़ा है। बेसमेंट में भारी मात्रा में दवाओं की खाली वाइल्स (शीशियां) रखीं हैं। वहीं, जमा पानी और गंदगी डेंगू को न्यौता दे रहे हैं।
 

एसटीएच कुमाऊं का सबसे बड़ा अस्पताल है। 750 बेड वाले इस अस्पताल में कुमाऊं के अलावा यूपी के कई जिलों के मरीज इलाज कराने आते हैं। अस्पताल में रोजाना 1500 से 1800 की ओपीडी होती है। मरीजों से अस्पताल के बेड हर समय भरे रहते हैं। यहां एक दिन में हजारों मरीजों को इंजेक्शन लगते हैं। ऐसे में इंजेक्शन की खाली वाइल को निस्तारण के लिए अलग रखा जाता है। ताकि वाइल का कोई गलत इस्तेमाल न कर सके। 
 

लेकिन पिछले चार साल से विभिन्न दवाओं की खाली वाइल्स को अस्पताल के ही बेसमेंट में डंप करके रखा गया है। लाखों की संख्या में वाइल्स पन्नियों में भरकर रखी हैं जो अब पन्नियां फटने से इधर-उधर गिर रही हैं। ऐसे में सवाल है कि अगर कोई व्यक्ति इन वाइल्स को चोरी छिपे बाहर ले जाए और इन्हें री-साइकिल कर फिर इनमें दवा डालकर बेच तो इस लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार होगा। वहीं बेसमेंट में पानी की निकासी न होने से कई जगह पानी भरा है। जिसमें डेंगू के लार्वा के पनपने की पूरी संभावना है। जो अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए बड़ा खतरा है।

फर्जी तरीके से री-साइक्लिंग का खतरा
एसटीएच के बेसमेंट में रखी लाखों की संख्या में खाली वाइल्स से भले ही खतरा न हो, लेकिन इसके दुरुपयोग से किसी की भी जान पर बन आ सकती है। वैसे तो एसटीएच में हर समय सुरक्षा कर्मी इधर-उधर चक्कर लगाते रहते हैं। अस्पताल के अंदर से बेसमेंट में जाने के कई रास्ते हैं। जिन पर सुरक्षा कर्मियों का पहरा कम रहता है। अगर कोई व्यक्ति बेसमेंट में जाकर वाइल्स को भरकर अस्पताल से बाहर ले जाए और री-साइकिल करके बेच दे तो इसका पता लगाना सुरक्षा कर्मियों और अस्पताल प्रशासन के लिए मुमकिन ही नहीं, नामुमकिन है।


वाइल्स के निस्तारण के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पत्र लिखे हैं। बोर्ड ही तय करेगा की कौन सी फर्म वाइल्स लेकर जाएगी। 
- डॉ. अरुण जोशी, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी


पूर्व में एक कमेटी बनाई गई थी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रजिर्स्टड फर्म के न आने से वाइल्स का निस्तारण नहीं हो पाया है। 
- डॉ. जीएस तितियाल, एमएस, सुशीला तिवारी अस्पताल


बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण के लिए गदरपुर की एक फर्म को शासन ने तय किया है। इस बारे में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को पत्र लिखा जा चुका है। फिर भी निस्तारण क्यों नहीं हो रहा है, इस बारे में पूछा जायेगा।
- डीके जोशी, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कुमाऊं

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