लखनऊ : भेदभाव, ऊंच-नीच और अत्याचार की दास्तान है नाटक आहत
लखनऊ, अमृत विचार। अखिल भारतीय सांस्कृतिक संस्थान (एबीएसएस) का तीन दिवसीय नाट्य समारोह सोमवार को गांधी भवन में शुरू हुआ। आज पहले दिन राजेन्द्र तिवारी के लेखन व निर्देशन में नाटक आहत का मंचन किया गया।
आहत भेदभाव, ऊंचनीच और आदिवासियों पर अत्याचार की तस्वीर दिखाता है। सोम अपने ही कबीले की लड़की छुटकी से प्यार करता है। छुटकी सोम के इन्तजार में पहाड़ी पर अपनी सहेलियों से हंसी मजाक कर रही थी। उसी समय वहां का राजकुमार अपराजय आता है और लड़कियों से बदतमीजी करने लगता है। छुटकी राजकुमार के गले पर कटार से वार कर वहां से निकल जाती है।
अपराजय बदले की भावना से छुटकी के साथ बर्बरता पूर्वक व्यवहार करते हुए उसके माता-पिता को मार देता है, साथ ही उसका पूरा कबीला भी जला देता है। दूसरे कबीले के मुखिया की बेटी चांदनी के साथ भी राजकुमार ने ऐसा ही व्यवहार किया होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए दूसरे कबीले का मुखिया छुटकी की मदद को आगे आता है। कबीले वालों के साथ मिलकर छुटकी व सोम अपराजय को मार देते हैं। बेटे की मौत का बदला लेने जब खुद राजा आता है तो छुटकी और चांदनी राजा को उसके बेटे की गलतियां बताती हैं। तब राजा को अपनी गलती का अहसास होता है, और वह सभी लड़कियों की मदद का वादा करता है।
नाटक में देविका, दीपक, एश्वर्य, अंकिता, शिक्षा तिवारी, मोनिका, प्रदीप श्रीवास्तव, जेडी, दिव्यांश, शिवम, कौशिक, आक्षरिका, जय, दीप ज्योति, विवेक पाण्डेय, अर्णव शर्मा, अनुज जैन, संजय यादव, रजनीश और ललित पाण्डेय ने उल्लेखनीय भूमिकाएं निभाईं।
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